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आनंद में बाधा किसे बर्दाश्त |वो भी तब जब बाधा पहुँचाने वाली पत्नी हो | बढ़िया ..बहुत बढ़िया कथा आदरणीया
अभी भी कई पुरुष इस तरह का बर्ताव करते ही हैं साथ ही नारी सशक्तिकरण के नाम पर कई संस्थाओं द्वारा स्त्रियों के स्त्रियोचित गुणों का नाश किया जा रहा है, जबकि आवश्यकता है ऐसे पुरुषों की मानसिकता में बदलाव की| पुरुषों को उत्तम बनाने की इस पहल का स्वागत होना ही चाहिये| आ० शशि जी, आपको हार्दिक बधाई इस स्वच्छ सन्देशपूर्ण रचना के लिये|
बहुत उम्दा लघुकथा हुई है आ शशि बंसल जी बधाई स्वीेकारे
आदरणीय; धीरज जी बहुत ही सुंदर लघुकथा हुई है. केवल // नेता जी की 12 की बेटी ने उन्हे बने ठने देखा तो ये सवाल कर दिया |// इस पंक्ति में मामूली सुधर कर लीजिएगा. इस शानदार लघुकथा के लिए बधाई आप को .
बच्चे इतने मासूम होते है जो उन्हें समझाया जाता है वही गुनते हैं तथा प्रतुत्तर ऐसा देते हैं की कई बार स्थिति असहज हो जाती है और हम अपने कहे पर फिर से दृष्टि डालने पर मजबूर हो जाते हैं |विषय बहुत अच्छा है इस सुन्दर लघु कथा हेतु हार्दिक बधाई आपको आ० धीरज जी .
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