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प्रदत्त विषय को सार्थक करते हुए चुनावी प्रक्रिया में नेताओं के दांव पेंच पर करारा व्यंग किया है लघु कथा के माध्यम से बहुत बढ़िया लघु कथा हार्दिक बधाई आ० सतविंदर जी
आपके द्वारा स्नेहिल समीक्षा के लिए हृदयतल से आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी
आ.सतविंदर जी राजनीति की शतरंज पर सुंदर लघु कथा
"इस खेल में मोहरे बदलते रहते हैं।"---जी हाँ , बिलकुल सही लिखा है आपने की जो लोग जिंदगी को शतरंज की बिसात बना कर जीते हैं उनके मोहरे वक़्त के साथ बदलते रहते है।
बहुत खूब सारगर्भित लेखन हुआ है आपका यहां भी आदरणीय सतविंदर जी ,बधाई स्वीकार कीजिये।
सादर आभार एवं सादर नमन वंदनीया कांता दीदी जी आपके द्वारा इस लघुकथा पर उपस्थिति देने एवं सकारात्मक टिप्पणी कर उत्सावर्धन के लिए|
सादर आभार आदरणीया नीता कसार जी आपकी स्नेहशील प्रतक्रिया के लिए |
आदरणीय सतविंदरजी, आपकी लघुकथा बहुत गहन संभावनाएँ लिए हुए हैं. आप इस प्रस्तुति को और सशक्त स्वरूप दे सकते थे. वैसे यह अब भी वैसी कमज़ोर नहीं है. हृदय से बधाइयाँ
शतरंज (लघुकथा)
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कोठी के मेन गेट पर कदम पड़ते ही मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी! पूरी कोठी बिजली के रंगीन टट्टओं(बल्बो), महंगी सजावट से जगमगा रही थी! रिश्वत की काली कमाई रात के अँधेरे में सफ़ेद रंग में चमक रही थी! में अपने कपडे ठीक करता हुआ इंजीनियर साहब की तरफ जन्मदिन की मुबारकबाद देने के लिए बढ़ गया!
"आओ आओ रवि बाबू" मुझे देखते ही इंजीनियर साहब बोले! औपचारिकता निभाने के बाद में बोल ही पड़ा "सर बड़ी चकाचौंध हैं, तनख्वाह में तो इतनी भव्यता नहीं हो सकती लगता हैं ऊपर की बहुत ........"
"सही कहा तुमने रवि बाबू अब आती लक्ष्मी को तो ठुकरा नहीं सकते, मिलती हैं तो ले लेते हैं! ये सारी चकाचौंध रिश्वत की कमाई की ही हैं! " मेरी बात बीच में ही काटते हुए बेशर्मी से वह बोले!
"पर सर, आपको डर नहीं लगता पकडे गए तो?"
“ओह रवि बाबू लगता हैं आपने शतरंज का खेल नहीं खेला! छोटे प्यादे ही पहले फंसते, मरते हैं! राजा तक पहुंचना मुश्किल होता हैं बस यही तिकड़म यहाँ अपनाई जाती हैं! हम नजर में आ ही नहीं पाते! अभी विभाग में नए आये हो, सब समझ जाओगे!" कुटिलता से मुस्कुराते हुए इंजीनियर साहब बोले!
मैंने उनकी हाँ में हाँ मिलाई! अपनी कमीज का बटन ठीक करता हुआ में मन ही मन बुदबुदा उठा "इंजीनियर साहब इस बटन में लगे खुफिआ कैमरे में आप की सारी बात रिकॉर्ड हो गयी हैं! असल में शतरंज का खेल आपने ठीक से नहीं खेला! कभी कभी एक मामूली प्यादा भी राजा को मात दे देता हैं, कल आपको पता चल जाएगा!
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(मौलिक व् अप्रकाशित)
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी
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