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बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए
वाह वाह, बेहद उंदर लघुकथा रची है भाई विनय कुमार जी I हार्दिक बधाई हाज़िर है I
बहुत बहुत आभार आपका आ योगराज सर उत्साहवर्धन के लिए
हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी!शतरंज़ की चालों को बेहतरीन तरीके से दर्शाती सुंदर प्रस्तुति!
उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार आ
उत्साहवर्धन के लिए और रचना के मर्म को समझने के लिए बहुत बहुत आभार आ
धार्मिक शतरंज की बिसात पर हम सब मोहरे बने हुए हैं ,चाहे किसी भी धर्म के हों ,खेलने वाले तो दूसरे ही हैं, बहुत सार्थक रचना बुनी है आप ने आदरणीय विनय कुमार जी बधाई आपको सादर
उत्साहवर्धन के लिए और रचना के मर्म को समझने के लिए बहुत बहुत आभार आ
इस उम्दा लघुकथा के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय
उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार आ
आदरणीय विनय जी शानदार लघुकथा लिखी है आपने. इस पर ढेर सारी बधाई और // जिन्दगी की शतरंज ने शह और मात दोनों दे दी थी ।// जैसी दार्शनिक और उत्कृष्ट पंचलाइन के लिए विशेष बधाई. आपकी कथा विलम्ब से आई पर लाजवाब आई.
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