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।। रिवाज ।।
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पारित संकल्प के अनुसार सतर्कता जागरूकता सप्ताह में शपथ ली ।
"लोक सेवक के रूप में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए कार्य करेंगे ,
अपने कर्त्तव्य का पालन पूर्ण ईमानदारी से करेंगे ।"
फोटो खिंचवाई ।
"साब फाइनल बिल का चैक अभी तक नहीं बना ।"
"बडे बाबू ,ठेकेदार साब का चैक नहीं बना ?"
"साब बिल नहीं आया ।"
"बिल तो प्रस्तुत कर दिया था ,सत्यापन भी करा दिया , आपने ही तो टीप दी थी ,पूरी फारमेलिटी हो चुकी हैं ।"
"ठेकेदार साब एक फार...मे...लिटी बची है ।"
"बडे बाबू मैं सोच रहा था ,यह जो आपका सप्ताह चल रहा है, सुबह शपथ ली थी ।"
"जी हाँ ,हर साल लेते हैं , हम सरकारी कर्मचारी है ,सरकार के सब आदेशों का पालन करना हमारा कर्तव्य है , आदेश था तो
हमने शपथ ली ।"
"इसका मतलब यह तो नहीं कि हम वर्षों पुराने रिवाज ही खत्म कर दें ।"
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मौलिक एवं अप्रकाशित
पवन जैन ,जबलपुर ।
वाह !!! क्या जबरदस्त लघुकथा हुई है ये भी। एक नये अंदाज़ में , आज की कड़वी हकीकत , बहुत खूब खोला है आपने ढोल के पोल को , लाज़वाब हो गए पढ़कर हम तो। देर तो आये लेकिन बड़ी दुरुस्त आये है। बहुत -बहुत बधाई आपको आदरणीय पवन जैन जी।
धन्यवाद आदरणीय,आपका प्रोत्साहन सिध्द हो रहा है ।
सही है जैन साब ! संकल्प केवल पारित करने के लिए ही होते हैं और रिवाज, परंपरा बनाये रखने के लिए। सब कुछ छोड़ा जा सकता है पर परम्पराएँ कैसे छोड़े ? उनमे तो प्राण बसते हैं। अच्छा व्यंग। बधाई।
आभार आदरणीय ।
संकल्प के दो रूपों को बखूबी से परिभाषित कर दिया आ० पवन जैन जी I लघुकथा बढ़िया हुई है, जिस हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें I
आदरणीय नमन ।आपकी प्रशंसा से बल मिलता है ,आभारी हूँ ।
गजब की पंचलाइन है आदरणीय पवन जैन जी सर| सशक्त तरीके से अपने सन्देश को कहती लघुकथा के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें|
धन्यवाद आदरणीय ,OBO में प्रथम प्रयास है ।आप सभी का प्रेम अकल्पनीय है ।
आभार आदरणीय ।
अपने रीती रिवाज़ कैसे ख़त्म कर सकते हैं , सकल्प लेना तो मज़बूरी है | बहुत बढ़िया रचना प्रदत्त विषय पर , बधाई आपको
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