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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन । 

पिछले 81 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :


"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-82

विषय - "शब्द/लफ्ज़"

आयोजन की अवधि- 11 अगस्त 2017, दिन शुक्रवार से 12 अगस्त 2017दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल

नज़्म

हाइकू

सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु,  एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.    

  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.


आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 11 अगस्त 2017, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें


मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर 
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,रचना की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
मेरे कहे को मान देकर मंच पर सक्रियता बनाने के लिये अलग से धन्यवाद ।

गीत,ग़ज़ल,कविता,चौपाई, सब शब्दों का खेल ।
इनके कारण हो जाता है, दिल से दिल का मेल ।।.... बहुत खूब , छंदों पर  भी आपकी पकड़   मुग्ध कर रही है आदरणीय ...ढेरों बधाई प्रेषित है आपको 

मोहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,ये सब ओबीओ का कमाल है,रचना की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

वाह्ह्ह वाह्ह्ह्ह आद० समर भाई जी,आप तो छंदों पर भी कमाल करने लगे प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक  छंद लिखे हैं हार्दिक बधाई |मेरे यहाँ तो पूरे दिन में अब नेट आया है भारी बारिश के कारण नेट बत्ती सब गुल थी |

गीत,ग़ज़ल,कविता,चौपाई, सब शब्दों का खेल ।
इनके कारण हो जाता है, दिल से दिल का मेल ।।-----बहुत सुंदर 

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,ओबीओ का यही तो कमाल है,छन्द आपको पसंद आये लिखना सार्थक हुआ,सराहना के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
बारिश के मौसम में नेट और बिजली दोनों धोका दे जाते हैं,क्या करें मजबूरी है ।

आदरणीय समर कबीर भाईजी

गीत,ग़ज़ल,कविता,चौपाई, सब शब्दों का खेल ।
इनके कारण हो जाता है, दिल से दिल का मेल ।। ..... वाह !!

बहुत सुंदर सार्थक सरसी छंद के साथ महा उत्सव -82 का शुभारम्भ करने के लिए मेरी हार्दिक बधाई

जनाब अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आदाब,छन्द आपको पसंद आये लिखना सार्थक हुआ,सराहना के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

आदरणीय समर साहब, आपकी कोशिशें खूब रंग लाती हैं. सरसी को आपने भरपूर जिया है. ज्बकि मेरी जानकारी में इस छंद पर आपका पहला ही प्रयास है. बहुत खूब !

गीत,ग़ज़ल,कविता,चौपाई, सब शब्दों का खेल ।
इनके कारण हो जाता है, दिल से दिल का मेल  ............. क्या बात है ! क्या बात है !!

वैसे, जिस तरह की आपकी ग़ज़लों की पृष्ठभूमि है, आपके छंद भी जानदार होंगें. बस मात्रिका निर्वहन सहज हो जाय. फिर भाव और इंगितों का समावेश करना आसान हो जाएगा. आप बस अभ्यासरत रहें. 

वैसे, छंदो या गेय कविताओं को लेकर मंच के अन्य रचनाकार भी आपसे प्रेरणा लें, तो लेखन में आशातीत सुधार हो सकता है. दिक्कत यह है कि अब अधिकांश नये रचनाकार भी सिद्धहस्तों की तरह आयोजन के एक दिन पूर्व ही रचनाकर्म के लिए उद्यत होते हैं. जबकि ऐसी शक्ति धीरे-धीरे करके बरसों में आती है.

हार्दिक शुभकामनाएँ

 

जनाब सौरभ पाण्डेय साहिब आदाब,आपका फ़रमाया हुआ एक एक शब्द सही है,सरसी छन्द पर अब प्रयास जारी रहेगा,ये वादा है, अपनी अदबी ज़िन्दगी में मैंने कभी तसव्वुर भी नहीं किया था कि मैं कभी छन्द भी लिखूँगा, ये सब ओबीओ पर आने के बाद हुआ। नये रचनाकार सृजन तो करते हैं लेकिन उसके प्रति जो गम्भीरता होनी चाहिए वो इससे कोसों दूर हैं ।
सरसी छन्द आपको पसंद आ गए मेरा लिखना सार्थक हो गया,सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रया के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

आदरणीय समर कबीर जी, प्रदत्त विषय को सार्थक करती सरसी छंद मे क्या ही खूबसूरत रचना हुई है! वाह वाह। एक-एक पद मुग्ध कर रहा है। गीत, गजल, कविता चौपाई वाला पद तो सीधा दिल मे उतर गया। एक गजलगो यानि आपको छंदों मे सिद्ध हस्त होते देखना सभी के लिए अनुकरणीय है। इस शानदार प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई। सादर । 

जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,बहुत समय बाद आपको अपनी रचना पर देखकर बहुत ख़ुशी हुई ।
ओबीओ जो न करवाले कम है,सरसी छन्द आपको पसंद आये लिखना सार्थक हुआ,सराहना और उत्साहवर्धन के लिये आपका दिल से बहुत बहुत धन्यवाद ।
कृपया मंच पर अपनी सक्रियता बनाएं रखें ।
आद0 समर कबीर साहब सादर अभिवादन, सरसी छंद पर उम्दा प्रयास, आपसे मुझ जैसे अभ्यासियों को ऊर्जा मिलती है। जितनी ख़ूबसुरुरती से ग़ज़ल पर पकड़, उतना ही छंद पर भी। बधाई आपकक

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