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लघुकथा के इस प्रयास पर अपनी टिप्पणी द्वारा मेरे मनोबल को उच्च करने हेतु हार्दिक आभार आदरणीया नीता कसार जी |
लघुकथा का यह प्रयास आपको ठीक लगा, इस हेतु हृदय से आभारी हूँ आदरणीया शशि जी| जिस तरह आपको संदेह है, रचना शुरू करने से पूर्व मुझे भी यही संदेह था| तब इन्टरनेट पर सर्च किया और दो घटनाओं के समाचार पहले पृष्ठ पर ही मिल गये: 1. कोल्हापुर की दो बहनों रेणुका शिंदे और सीमा गावित को 2014 में फांसी दी गयी थी और 2. बहुचर्चित श्रीनगर हत्याकांड जो कि 2013 में हुआ था जिसमें चार लोगों को फांसी दी गयी थी उसमें एक 23 वर्षीय महिला थी जिसका नाम नेहा था| तब मैं थोड़ा निश्चिन्त हुआ था| यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई कि आप रचना के मर्म में जाकर अपने तर्क से किसी भी रचना का गहन विश्लेषण में सक्षम हैं| सादर,
न्याय की देवी के आँखों पर पड़ी काली पट्टी वास्तव में बहुत दुखदायी है।
सबूतों के खरीद फरोख्त के गर्म बाज़ार में निरीह ,कमजोर और गरीब सत्य यु ही फांसी के फंदे पर झूला करती है अक्सर।
सब कुछ जानती है वो काली पट्टी वाली लेकिन न्याय को बिकते हुए , वह भी अब तमाशा देखने की आदि हो चुकी है।
सत्य की परीक्षा शायद वो बिना पट्टी के भी नहीं दे पाएगी। काली पट्टी उतारते ही चांदी की खनक और चमक देखकर , उस क़ानून की देवी का सफ़ेद देह डर है कहीं पूरी की पूरी काली ना हो जाए । बहुत ही मार्मिकता लिए मन को विह्ल करती सार्थक लघुकथा बन पड़ी है आपकी आदरणीय चंद्रेश जी। बधाई स्वीकार करें।
लघुकथा का यह प्रयास आपको ठीक लगा और आपने अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा उत्साहवर्धन किया, इस हेतु सादर आभारी हूँ आदरणीया कांता जी| आपकी सकारात्मक टिप्पणियाँ सदैव ही अच्छे लेखन को प्रेरित करती हैं| सादर,
aअ० चंद्रेश जी / बढ़िया कथा है / अति भावुकता भी है / दुनिया में सभी जगह न्याय स्बूतोंपर आधारित है /बिना सबूत अपराधी छूट जाते है और निरपराध दण्डित होते हैं /यह न्याय की विडंबना है / अंतिम इच्छा मृत्युदंड देते समय ही पूछी जाती है .
आदरणीय डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सर, आपने इस रचना का बहुत उचित तरीके से विश्लेषण किया| आपका बहुत बहुत आभार और आपके सुझाव सर आँखों पर| इस रचना पर आपके और आदरणीय योगराज जी सर के आदेशानुसार कुछ बदलाव करने का प्रयास किया है और उसे योगराज जी सर के कमेंट के रिप्लाई में पोस्ट भी किया है| अति-भावुकता के लिये और कार्य करने की आवश्यकता होगी शायद| कृपया मार्गदर्शन करें|
जनाब चंद्रेश कुमार जी , दिल को छू लेने वाली अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई
लघुकथा की इस कोशिश पर अपनी स्नेहिल टिप्पणी के द्वारा मेरी हौसला अफजाई के लिए बहुत शुक्रिया आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहिब|
ओह !! //"एक कैंची का.... जिससे न्याय की यह देवी अपने आँखों पर लगी पट्टी काट सके| // जबरदस्त.आगे कुछ शेष नही कहने को.ढेरो बधाईयाँ आपको चन्द्रेश जी
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लघुकथा का यह प्रयास आपको ठीक लगा और आपने अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा उत्साहवर्धन किया, इस हेतु सादर आभारी हूँ आदरणीया कल्पना भट्ट जी |