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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

महा-उत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |
पिछले 40कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-41 (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष)

विषय - "दोरंगी तस्वीर "

आयोजन की अवधि- शनिवार 8 मार्च 2014 से रविवार 9 मार्च 2014 की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति. बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

 

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

 

अति आवश्यक सूचना :-

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो.
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 8 मार्च 2014 दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालिका
डॉo प्राची सिंह
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

आदरणीय. सौरभ भाईजी ,

हृदय से प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद , आभार ।

पहले दोहे के रूप में ही लिखा था लेकिन---   

छुरी बगल में दबाय / देश में इज्ज़त होय ...,आदि कई पंक्तियो के कभी  विषम और कभी सम चरणों में मात्रायें ज़्यादा हो रहीं थी , भावों से समझौता करना भी मुश्किल था, इसलिए मुक्त छंद का नाम दिया , लेकिन इस बात का ध्यान रखा कि प्रवाह बाधित न हो ।  पुनः धन्यवाद ।

सादर 

सज्जन किन्तु गरीब है, मान करै नहि कोय।

धन बेशक काला रखें, जग में इज्ज़त होय॥

यह भी बैलेंस हो गया अखिलेश भाई...मेरे विचार से ऐसा कोई कथन ही नहीं है..जिसे दोहे में बाँधा न जा सके..आपके भाव बहुत ही गहरे हैं..इसलिए रोक नहीं पाया

आदरणीय मनोजभाई , 

आपका कहना सही है । छुरिका जैसे  क्षेत्रीय और बोल चाल के पारंपरिक शब्दों की कमी होने से कई बार मात्राओं में बांधना मुश्किल हो जाता है।  सुंदर  और उपयोगी सुझाव के लिए आभार । सुंदर शब्दों से दोहे का संतुलन बनाने के लिए हार्दिक धन्यवाद , आभार । 

सत्य बात कड़वी लगे, झूठ कहो मुस्काय।

बात बहुत मीठी करे, छुरी बगल में दबाय॥---------------------सत्य सत्य

भैयाजी इस प्रस्तुति पर  बहुत बहुत बधाई

आदरणीय. रमेश  भाई, 

प्रशंसा के लिए  हार्दिक धन्यवाद , आभार ।

आदरणीय अखिलेश भाई साहब, इन द्विपदियों ने केवल दोरंगी तस्वीर  ही नहीं बल्कि बहुरंगी तस्वीर प्रस्तुत की है, कुछ और समय की मांग रचना करती है किन्तु मुझे भाव बहुत ही भले लगे, बहुत बहुत बधाई और महोत्सव शुभारम्भ हेतु अतिरिक्त शुभकामनायें प्रेषित है।

आदरणीय गणेश भाईजी,

कई पंक्तियो के कभी  विषम और कभी सम चरणों में मात्रायें ज़्यादा हो रहीं थी , भावों से समझौता करना भी मुश्किल था, इसलिए मुक्त छंद का नाम दिया , लेकिन इस बात का ध्यान रखा कि प्रवाह बाधित न हो ।

कुछ गलतियों  के बाद भी हृदय से प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद , आभार । 

महोत्सव का शुभारम्भ करने के लिए बधाई | दो रंगी दुनिया के सम्बन्ध में रचना के माध्यम से कई तथ्यों पर सुन्दर भाव 

प्रकट करने में सफल हुए है | शुक्रिया 

आदरणीय. लक्ष्मण  भाई, 

प्रशंसा के लिए  हार्दिक धन्यवाद , आभार ।

दोरंगी इस देश की, बड़ी अज़ब तस्वीर।                          

लाखों धनपति और यहाँ, भूखे, नग्न, फकीर॥ 

सदियों से चले  आ रहे इस दो रंग को, अपने सरल भाव मे प्रस्तुत किया ।आदरणीय अखिलेश जी बहुत बधाई 

आदरणीय. नादिर   भाई, 

प्रशंसा के लिए  हार्दिक धन्यवाद , आभार ।

आदरणीय श्रीवास्तव जी 

सादर 

समझौता ?

भाव की रेल ?

गाटर की खट खट  आवाज 

शानदार भाव 

बधाई 

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