परम आत्मीय स्वजन,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २८ सितम्बर दिन बुधवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक ३० सितम्बर दिन शुक्रवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |
अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक १५ जो तीन दिनों तक चलेगा,जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्यअधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |
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रूप होना चाहिये, आकार होना चाहिये|
हर अना, हर सोच का, आधार होना चाहिये|१|
रंग-मस्ती-रोशनी, इसमें भला क्या कुछ नहीं|
ज़िंदगी का नाम तो त्यौहार होना चाहिये|२|
गर तना कमज़ोर हो तो, बढ़ नहीं पाता दरख़्त|
फ़लसफ़ा तालीम का, दमदार होना चाहिये|३|
भीड़ में शामिल रहे, पर भीड़ से हट कर दिखे|
शख़्सियत का रंग, दर्ज़ेदार होना चाहिये|४|
चेतना-संवेदना 'शापित-अहिल्या' बन गयीं|
फिर से कोई 'राम' सा अवतार होना चाहिये|५|
और कितनी मर्तबा इस बात को दोहराऊँ मैं|
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये|६|
//रूप होना चाहिये, आकार होना चाहिये|
हर अना, हर सोच का, आधार होना चाहिये|१|//
//रंग-मस्ती-रोशनी, इसमें भला क्या कुछ नहीं|
ज़िंदगी का नाम तो त्यौहार होना चाहिये|२|//
वाह वाह वाह ! ये हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर है ! क्या आशावादी नज़रिए से एनेलाईज़ किया है जिंदगी को !
//गर तना कमज़ोर हो तो, बढ़ नहीं पाता दरख़्त|
फ़लसफ़ा तालीम का, दमदार होना चाहिये|३|//
ये बात !!!! बिल्कुल सत्य कहा भाई !
//भीड़ में शामिल रहे, पर भीड़ से हट कर दिखे|
शख़्सियत का रंग, दर्ज़ेदार होना चाहिये|४|//
ये भी बहुत सुंदर शेअर है ! बहुर खूब !
//चेतना-संवेदना 'शापित-अहिल्या' बन गयीं|
फिर से कोई 'राम' सा अवतार होना चाहिये|५|//
अय हय हय हय !!!! कमाल का शेअर कहा है ! आपकी शायरी की ये खूबी रही है कि ये कभी अपनी मिट्टी अपनी विरासत से नाआशना नहीं रह सकती !
//और कितनी मर्तबा इस बात को दोहराऊँ मैं|
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये|६|//
भई गिरह लगाने का ये अंदाज़ भी बड़ा दिलकश है ! कोई उलझाव नहीं, कोई गाँठ नहीं, बस सीधी सादी बात ! इस सुंदर और प्रभावशाली गजल के लिए मैं आपको दिल से मुबारकबाद देता हूँ !
नवीन जी की ग़ज़लें तो अलग ही मिजाज की होती हैं। बहुत बहुत बधाई उन्हें इस शानदार ग़ज़ल के लिए
//गर तना कमज़ोर हो तो, बढ़ नहीं पाता दरख़्त|
फ़लसफ़ा तालीम का, दमदार होना चाहिये|३|
भीड़ में शामिल रहे, पर भीड़ से हट कर दिखे|
शख़्सियत का रंग, दर्ज़ेदार होना चाहिये|४|
चेतना-संवेदना 'शापित-अहिल्या' बन गयीं|
फिर से कोई 'राम' सा अवतार होना चाहिये//
वाह वाह वाह ! आदरणीय नवीन जी ! क्या गज़ब अशआर कहे हैं आपने ....सचमुच सार्थक व बेहद खूबसूरत ....... इनके निमित्त कृपया हार्दिक बधाई स्वीकार करें ! :-)
बहुत प्यारी ग़ज़ल है आदरणीय नवीन जी की. हार्दिक बधाई
हाथ उठाया घूम कर उसने .. और छू गया,.. !!
भाई नवीनजी की ग़ज़ल ने चार चाँद लगा दिया है इस मुशायरे में ..
इन अशार पर दिली दाद -
गर तना कमज़ोर हो तो, बढ़ नहीं पाता दरख़्त|
फ़लसफ़ा तालीम का, दमदार होना चाहिये|३|
भीड़ में शामिल रहे, पर भीड़ से हट कर दिखे|
शख़्सियत का रंग, दर्ज़ेदार होना चाहिये|४|
चेतना-संवेदना 'शापित-अहिल्या' बन गयीं|
फिर से कोई 'राम' सा अवतार होना चाहिये|५|
आप से गुज़ारिश है योगराज भाई साहब, अनुज का छूने के लिये हाथ घूम कर उठाना ठीक नहीं. अब सीधा हाथ उठे. मेरी बात संप्रेषित कर देंगे. सादर.. .
ये कहाँ की कही हुई बात है, साहब? ये तो ’सुन कहीं लिया कह कहीं लिया’ वाली बात हो गयी है न ! किस थ्रेड की बात है ये ?
और, हुज़ूर, हम बक़ायदा शांत हैं. आपसे तो इस मंच पर अभी तक कुछ कहा ही नहीं है. ..
पर अभी एक शेर मौजूँ बह्र पर ही.. .. लगे तो दाद दीजियेगा -
प्यार है वो, प्यार है ग़र, प्यार ही बस प्यार है
ग़र नहीं है प्यार, तो स्वीकार होना चाहिये.. .
पुनश्च ..
वाह वाह आदरणीय सौरभ भाई..क्या बात है.
कुछ इंतजार कुछ तकरार कुछ ऐतबार होना चाहिए,
बहुत सुंदर प्रयास है है अविनाश जी, बधाई
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