कद्र करें हम उन लोगों की
जिनने जीवन सफल जिया
दिन-प्रतिदिन के कष्ट नकारे
सुधा-हलाहल सहज पिया ॥ कद्र करें हम.. ॥
ऐसे में माँ-पिता हमारे
ऐसे में नाना-दादा हैं
कहना हम मानेंगे इनकी
हमसब करते ये वादा हैं
हमसब की उन्नति को लेकर
सभी बड़े कितना सोचें
इसीलिए आज्ञा-पालन को
हम बच्चों ने ध्येय किया ॥ कद्र करें हम.. ॥
पुस्तक के पाठों को गुनना
हल करना, उत्तर भी जाना
बात सुनें हमसब गुरुजन की
सिखा रहे जो राह बनाना
गुरु के ही तो अनुभव से सब
नाम बड़ा कर पाते हैं
जीवन हो आदर्श हमारा
हमने दृढ़-संकल्प लिया ॥ कद्र करें हम.. ॥
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-सौरभ
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(मौलिक और अप्रकाशित)
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जीवन हो आदर्श हमारा
हमने दृढ़-संकल्प लिया ॥
बहुत सुन्दर, प्रेरणास्पद बालगीत । बधाई सौरभ जी !
बाल-गीत को पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुलभ अग्निहोत्रीजी.
सुन्दर गीत के लिए आपको बधाई ...... सादर |
हार्दिक धन्यवाद आदरणी श्याम नारायणजी.
इस बाल-गीत को अनुमोदित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय गोपाल नारायनजी.
आदरणीय पाण्डेय जी,
क्षरित होते मानवीय मूल्यों के इस दौर में यह बालगीत नई पौध के मन-मानस के लिए पोषक तत्व की तरह है | ..हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !
रचना को तार्किक मान देने के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय सन्तलाल करुण जी.
बाल मन में अपने सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति रूझान बढ़ाने हेतु इस बालगीत पर हार्दिक बधाई आदरणीय सौरभ जी.
आपने इस बाल गीत के उद्येश्य को ही रेखांकित किया है, आदरणीय विजय प्रकाशजी
सादर धन्यवाद
सुन्दर बाल गीत के लिए आपको हार्दिक बधाई .....सादर
आपके अनुमोदन से आश्वस्ति हुई है, आदरणीया महेश्वरीजी
सादर
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