Sort by:
Discussions | Replies | Latest Activity |
---|---|---|
'अब तुम्हारे हवाले ... बहिनों' ( संस्मरण)उन दोनों की मैं बहुत शुक्रगुजार हूं। बताऊं क्यूं? क्योंकि इस बार के गणतंत्र दिवस में उन दोनों ने मुझे भी अपने साथ शामिल कर ही लिया। जिस तरह… Started by Sheikh Shahzad Usmani |
0 | Jan 20, 2019 |
बोल चिरैया (बाल-गीत) / शेख़ शहज़ाद उस्मानीबोल चिरैया बोल चिरैया, कितने घर खो आयी, दाना-पानी बच्चों ख़ातिर, कितने घर हो आयी। बोल चिरैया बोल चिरैया, कब रोज़े रख पायी, कब सहरी, अफ़तार… Started by Sheikh Shahzad Usmani |
5 |
Jan 2, 2019 Reply by Sheikh Shahzad Usmani |
बाल कविताफूल खिले जो बगिया में वह कितने सुन्दर लगते हैं लाल ,गुलाबी,नीले,पीले मन खुशियों से भरते हैं तितली उड़ती रंग-बिरंगी फूलों पर है इधर-उधर भँव… Started by Usha Awasthi |
2 |
Dec 29, 2018 Reply by Sheikh Shahzad Usmani |
पापा जैसा चुनमुन (कहानी )पापा जैसा चुनमुन सोमवार स्कूल का आखिरी दिन था |कल से गर्मियों की छुट्टियाँ थीं |चुनमुन स्कूल-वैन से घर लौट रहा था| ड्राईवर (संवाहक ) अंकल… Started by somesh kumar |
0 | May 21, 2018 |
तब ही मंज़िल पाओगे |उठो पढ़ो नित नव उमंग से , आलस दूर भगा डालो | सुबह शाम करो याद मन से , रोज आदत बना डालो | मेहनत से कभी डरो नहीं , आगे कदम बढा… Started by Shyam Narain Verma |
2 |
May 21, 2018 Reply by Shyam Narain Verma |
चन्द बाल कविताएं ( शक्ति छंद)बड़ा जग भरा नीर जूठा किया मगर घूँट भर ही लिया औ पिया उँडेला गया सब,बचा जो, उसे जरूरत कहाँ है न मन में घुसे खुले में जला फूँस करते धुआँ रहे… Started by सतविन्द्र कुमार राणा |
3 |
May 20, 2018 Reply by Sheikh Shahzad Usmani |
कोयल (बाल कविता)ताटंक छंद (16, 14 पर यति, अंत मे तीन गुरु) कोयल वसन्त ऋतु की रानी, सात सुरों की ज्ञाता है गाती है जब अपनी धुन में, मन मधुरस हो जाता है।।… Started by नाथ सोनांचली |
5 |
May 20, 2018 Reply by Sheikh Shahzad Usmani |
बाल प्रार्थना (शक्ति छंद)शक्ति छंद: 122 122 122 12 (11=2 मांन्य) करें प्रार्थना प्रभु जरा ध्यान दो दया प्रेम दिल में भरा ज्ञान दो जुड़ें ना कभी हम किसी पाप से बचें… Started by नाथ सोनांचली |
3 |
May 20, 2018 Reply by Sheikh Shahzad Usmani |
गौरैया (विश्व गौरेया दिवस पर बाल कविता)घर आँगन की राज दुलारी, प्यारी चुनमुन गौरैया कभी अकेले कभी झुंड में करती है ता ता थैया ।। चोंच दबाकर तिनका तिनका, अपना नीड़ बनाती है फुदक फ… Started by नाथ सोनांचली |
3 |
May 20, 2018 Reply by Sheikh Shahzad Usmani |
तुम भी तो कुछ किया करोमाँ कितना कुछ करती तुमको तुम भी तो कुछ किया करो वह जब कामों से थक बैठे पानी, पीने को दिया करो पापा जब ऑफिस से आएँ बैग हाथ में लिया करो छोटे… Started by Usha Awasthi |
0 | Feb 28, 2018 |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |