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भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

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भोजपुरी ग़ज़ल

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ फलनवा बन गइल मुखिया रङाइल गोड़ माथा ले     [फलनवा - कोई ; रङाइल - रंगा हुआ ; गोड़ - पैर बनल खेला बिगाड़े के.. चिलनवा ठाढ़…

Started by Saurabh Pandey

3 Sep 20, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

प्रीत क पहुनवा

चिहुँकि उठिह  भोर भइला के पहिले  जब  देखिह सपनवा मिलनवा के  धीरज जनि छोड़िह  कदम जनि मोड़िह  परेम पग रहिया  खनकि उठिह  जस  गीत काढ़े कलाई…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

6 Sep 10, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

गर्मी के महीना

गर्मी के महीना में हमरा मन में इ बात उठेला कि हमनी का काहे ना हिल स्टेषन में पैदा भइली जां। ओहिजा हमनी का ना जायेके पड़ीत। एहिजे ठंडा के मज…

Started by indravidyavachaspatitiwari

2 Jul 22, 2016
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

शराबबंदी

मरदे! उ काहे गभुआइल बा लागता उ तनी भकुआइल बा। ठंढा पानी से पिआस जाई का? उ बोतल खातिर छुछुआइल बा। शराबबंदी के एलान का भइल ताड़ी तनी अधिके बउर…

Started by Manan Kumar singh

1 Jun 16, 2016
Reply by Manan Kumar singh

नवगीत - मोहित मिश्रा

पियवा गइलें परदेश राह ताकत बाडी सूनी अँखियाँ, बन गइले विधवा के भेष, पियवा गइलें परदेश। कह के त गइलें सैया कुछ दिन के काम बा, थोडे दिन के…

Started by Mohit mishra

3 May 19, 2016
Reply by Pawan Kumar

शाकाहारी स्वागत-भोजपुरी कविता

पाहुन जी चली मुँह हाथ धोइ गोड़ सोड़ पोंछी राउवे खातिर बनवले बानी करी बरी फुलौरी आ मोछी भात दाल आ तरकारि बा आलू कटहल के आम के चटनी भुजिया च…

Started by Mohit mishra

2 Mar 27, 2016
Reply by Mohit mishra

होली में (ग़ज़ल)

2122 1212 22 थम गइल बा किचाल होली में हर तरफ बा बवाल होली में बूढ़, लइका,जवान,मेहरारू सबके बदलल बा चाल होली में बाटे के दोस्त अउर के दुश्…

Started by जयनित कुमार मेहता

1 Mar 25, 2016
Reply by Shyam Narain Verma

गजल(मनन)

आईं एगो गजल भइल बा देखीं सब रउए कइल बा।1 हहरल हियरा रउए खातिर इचिको ना एमे मइल बा।2 नयन मटक्का करते करते जिनगी के हर रोज गइल बा।3 खेले ख…

Started by Manan Kumar singh

1 Mar 15, 2016
Reply by Manan Kumar singh

गजल(मनन)

मेल बढाईं बात बनी सब झगड़ा में अब का धइल बा। आज तिलंगी उड़ते उड़ते देखीं रउए पास गइल बा। टूट सकी का धागा कबहूँ ? रउए माँझा जोर कइल बा।

Started by Manan Kumar singh

0 Mar 7, 2016

गजल(मनन)

अइसन मौसम आइल बा मनवा अब फगुआइल बा।1 खिल रहल बा कली गुलाबी भौंरा खूब अगराइल बा।2 टहले के मिलल तब निमन नाहीं तब गभुआइल बा।3 कर रहल मनुहार…

Started by Manan Kumar singh

4 Feb 28, 2016
Reply by Manan Kumar singh

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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

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Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

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मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

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मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

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मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

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