आदरणीय मित्रों, दोहे तेईस प्रकार के होते हैं जिनका विवरण निम्नलिखित है ..... _________________________________________________________
बांचें सारे दोहरे, तेईस रूप प्रकार.
प्रस्तुत है श्रीमान जी , दोहों का संसार..
नवल धवल शीतल सुखद, मात्रिक छंद अनूप.
सर्वोपरि दोहा लगे, अनुपम रूप-स्वरुप..
लघु-गुरु में है यह बँधा, तेइस अंग-प्रकार.
चरण चार ही चाहिए, लघु इसका आकार..
तेरह मात्रा से खिले, पहला और तृतीय.
मात्रा ग्यारह माँगता, चरण चतुर्थ द्वितीय..
विषम आदि वर्जित जगण, करता सबसे प्रीति.
अंत पताका सम चरण, दोहे की ये रीति..
अट्ठाइस लघु गुरु दसों, ‘वानर-पान’ समान.
चौदह गुरु हों बीस लघु, ‘हंस’ रूप में जान..
सत्रह गुरु लघु चौदहों, ‘मरकट’ नाम कहाय.
सोलह लघु गुरु सोलहों, ‘करभ’ रूप में आय..
बारह लघु के साथ में, अठरह गुरु ‘मंडूक’.
अठरह लघु गुरु पन्द्रह , ‘नर’ का यही स्वरुप..
तेरह गुरु बाईस लघु, ‘मुदुकुल’ कहें ‘गयंद’.
दस लघु हों उन्नीस गुरु, ‘श्येन’ है अद्धुत छंद..
बीसों गुरु औ आठ लघु, ‘शरभ’ नाम विख्यात.
छीयालिस लघु एक गुरु, ‘उदर’ रूप है तात..
गुरु बिन अड़तालीस लघु, नाम ‘सर्प’ अनमोल.
तिर्यक लहराता चले, कभी कुण्डली गोल..
चौवालिस लघु दोय गुरु, दोहा नामित 'श्वान'.
ग्यारह गुरु छ्ब्बीस लघु, ‘चल’ ‘बल’ करें बखान..
बाइस गुरु औ चार लघु, ‘भ्रमर’ नाम विख्यात.
इक्किस गुरु छः लघु जहाँ, वहाँ ‘सुभ्रमर’ तात..
चौबिस लघु गुरु बारहों, नाम ‘पयोधर’ पाय.
नौ गुरु साथी तीस लघु, ‘त्रिकल’ रूप मुस्काय..
बत्तीस लघु औ आठ गुरु, ‘कच्छप’ रूप समान.
चौंतिस लघु हैं सात गुरु, ‘मच्छ’ रूप में जान..
छः गुरु औ छत्तीस लघु, ‘शार्दूल’ विख्यात.
अड़तिस लघु तो पञ्च गुरु, ‘अहिवर’ लाये प्रात..
चालिस लघु हैं चार गुरु, देखो यह है ‘व्याल’.
बयालीस लघु तीन गुरु, आये रूप ‘विडाल’.
दोहा रचना है सुगम, नहीं कठिन कुछ खास.
प्रभुवर की होगी कृपा, मिलकर करें प्रयास..
--अम्बरीष श्रीवास्तव
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वाह अम्बरीश जी उदाहरण स्वरुप अनुपम दोहों के माध्यम से बहुत लाभकारी पोस्ट प्रस्तुत की है आपने बहुत -बहुत बधाई
धन्यवाद आदरेया राजेश कुमारी जी ! इससे किसी को यदि किंचित भी लाभ मिला तो मैं इन्हें सार्थक समझूंगा ! सादर
दोहों के बारे मे एक ज्ञानपरक जानकारी। दोहों के प्रकार आज जानने को मिले और साथ ही साथ उनके गुण भी।
नमन करू गुरु आपको, देते सुन्दर ज्ञान।
छन्दों की महिमा बता, नित्य बढ़ाते मान।।
स्वागत मेंरे मित्रवर, दिया छंद को मान.
यह तो है एक प्रयास है, हमें चाहिए ज्ञान..
सुप्रभात डॉ० प्राची जी, दोहों को सराहने के लिए आपके प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित है .... ये दोहे यदि किसी भी काम आ सके तो इनका सृजन सार्थक होगा ! सादर
आदरणीय अम्बरीष सर दोहे के सन्दर्भ में गहन और विस्तृत जानकारी के लिए हृद्यित धन्यवाद
स्वागत है शैलेन्द्र जी , हार्दिक आभार मित्र ...आज कल ओ बी ओ पर आना कम हो रहा है भाई जी ....
सर जी क्षमा प्रार्थी हूँ इस समय टैक्स ऑडिट चल रहा है उसी में व्यस्त हू मुझे भी इस बात का बहुत खेद है , जल्दी ही आता हूँ
ठीक है भाई जी ! खेद की क्या बात है मित्रवर ....वह कार्य तो प्राथमिकता पर होना ही चाहिए .....:-)
दोहा रचना है सुगम, नहीं कठिन कुछ खास.
प्रभुवर की होगी कृपा, मिलकर करें प्रयास..
बहुत बहुत आभार है , भाई श्री अम्बरीश,
गुरुवर तुम्हे प्रणाम है, दो हमको आशीष //
स्वागत भ्राता लक्ष्मण, दोहे में की बात.
मैं हूँ छोटा ही अनुज, आभारी मैं तात..
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