For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन .. नया साल मंगलमय हो !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ आठरहवाँ आयोजन है.   

 

इस बार छंदों की कोई बंदिश नहीं रखी जा रही है.

जिस भी छंद में प्रदत्त चित्र के आलोक/ भावालोक में

रचना-कर्म करें, उसका नाम तथा उसका सूत्र अवश्य अंकित करें.  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

20फरवरी 2021 दिन शनिवार से 21फरवरी 2021 दिन रविवार तक


इस बार के आयोजन में छंदों की कोई बंदिश नहीं रखी जा रही है. आप जिस छंद में प्रदत्त चित्र में रचना-कर्म करें, उसका नाम तथा सूत्र अवश्य लिख दें. 

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

छंदों के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

चित्र अंतर्जाल से

जैसा कि विदित है, कईएक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 20 फरवरी 2021 दिन शनिवार से 21 फरवरी 2021 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1497

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

चौपाई ..... प्रति चरण सोलह-सोलह मात्राओं का छंद है जिसके कुल चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में सोलह मात्राएँ होती हैं.

चरणांत गुरु गुरु , लघु लघु गुरु , या गुरु लघु लघु  से होता है।

............................

अब लगे नहीं मन पढ़ने में। शिक्षा की सीढ़ी चढ़ने में॥                                                                              काले अक्षर से लड़ने में। अपने भविष्य को गढ़ने में॥

सूर्य देव शुभ दर्शन तेरा। भाग्य खोल अब देगा मेरा॥                                                                               दो आशीष और खुशहाली। मुझे रोज पड़ती है गाली॥

अर्ध्य दे रही तुमको सादर। दूध न जल है बस हैं अक्षर॥

भेज रही हूँ पुस्तक पूरी। रहे न कोई पाठ अधूरी॥

शीघ्र मुझे फिर लौटा देना। सौ नम्बर में सौ है लेना॥                                                                          याद मुझे सब कुछ हो जाए। नम्बर इक भी कट ना पाए॥

बदल न जाना दिन के राही। देंगे अंबर मेघ गवाही॥                                                                                 पिता तुम्हीं मैं बिटिया प्यारी। किस्मत होगी मेरी न्यारी॥

..................................

[मौलिक एवं अप्रकाशित ]

आदरणीय अखिलेश् भाईजी, प्रस्तुति तथा सहभागिता हेत् धन्यवाद. 

पुनः आपकी रचना पर आता हूँ 

आदरणीय अखिलेश जी

 मंच पर आपकी फीता काट प्रस्तुती के लिये बधाई। पढ़ने में मन नहीं लगा पा रही बिटिया पर  बहुत प्यारी छंद रचना। कुछ एक जगह पर कुछ शब्द टंकण से छूट गये हैं जो प्रवाह गड़बड़ा रहे हैं  

 

आदरणीया प्रतिभाजी

रचना की प्रशंसा केलिए  हृदय से धन्यवाद आभार आपका ।

त्रुटि मैं स्वयं ढूंढ नहीं पाया कृपया आपही बतला दीजिए।

कुछ दिनों से नेट की समस्या से परेशान हूँ।

आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन । प्रदत्त विषय पर अच्छी प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई।

ग़ज़ल

1222.    1222.   1222.   1222

कि फूटा ज्वार बासंती हिलोरें मन हैं अहा  राधा |

वो ज्वाला सुप्त बहती मन रही सावन कहा राधा |

प्रिया   उसकी   रही  है  भेज   पाती  कान्हा,  राधा |

असर  मुझ पर हुआ बिल्कुल नहीं ऊधौ, रहा राधा |

शिकारी काम का वो देवता जालिम,  सितमगर है,

हजारों ख्वाब लिपटे हैं अभी तन-मन लगा राधा |

अभी तो गोपियों की भाव धारा में नहाती हूँ,

सुनो ऊधौ तेरा दर्शन नहीं स्वीकार हुआ, राधा |

तुम्हारा फलसफा ऊधौ हमें बेकार लगता है,

अलौकिक प्रेम अपनी गोपियों का है, जँचा राधा |

चिराग  अलादीन  साकार  द्वारा  भेजते पाती,

हमारा कृष्ण उसकी हम ऋचाएं हैं, बता राधा |  

मौलिक एवं अप्रकाशित

 पहले मतले  के ऊला से, कृपया 'हैं निकाल कर पढ़ने की ज़हमत फरमाएँ, आभार ! 

छंद - चंद्रकांता
(राजभा राजभा मातारा सलगा यमाता = 15 वर्ण)
यति = 7, 8

देखती आसमाँ को जो बादल से घिरा हैं
अब्द हैं श्वेत देखो नीले नभ से मिला हैं
बात क्या हैं कहो ना! बेटी तुम आज बोलो
ये पढ़ाई लिखाई से ही सब राज खोलो

हाथ में तो रखी थी वो एक किताब खोली
राज कोई खुला हो जैसे वह आज बोली
हो गया ये करिश्मा जादू यह बात कैसी
ख़्वाब में खो गई वो छोरी अनजान ऐसी

आश हैं एक छोटी सी, पंख मिले उड़ूँगी
आसमाँ में उड़ूँगी मैं सोनपरी बनूँगी
फूल जैसे महेंकूँ भोले मन से रहूँगी
चांद तारे सभी को छूके दिलमें भरूँगी

दूर हैं आभ तो ना छोड़ो सपने अधूरे
पार होंगे सही में तेरे सपने अधूरे
देख सीधी नहीं हैं ये अंबर राह जानो
तो पढ़ो आज से ही मेरी यह बात मानो

******* (मौलिक एवं अप्रकाशित) *******

गीत ( गीतिका छंद)

जा रहे अक्षर कहाँ ये

छोड़ कर अपना जहाँ

कह रहे अब रोकना मत

ठान ली तो ठान ली

क़ैद में रहकर किताबी

खूब लंबी तान ली

बंदिशों से दूर खुद को

आज थोड़ा जाँच लें

काम कितने आ रहे हम

सत्य थोड़ा बाँच लें

दे रही आवाज पुस्तक

लौट आओ घर यहाँ

ज्ञान वो ही ज्ञान जो कुछ

दे सके उपयोगिता

मंडियों में ज्ञान की पर

ज्ञान बस प्रतियोगिता

है उतरता ज्ञान थोथा

जब जमीनी हाल पर

सुर नहीं वो साध पाता

सत्य की तब ताल पर

जिंदगी के गुर सिखाये

पाठशाला वो कहाँ

_______

___

 मौलिक व अप्रकाशित

आदरणीया  प्रतिभाजी

गीतिका छंद आधारित गीत की सुंदर प्रस्तुति के लिए हृदय से बधाई।

गीतिका छंद के सूत्र /  नियमों की संक्षिप्त जानकारी देना आप भूल गईंं।

आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन । अच्छा गीत हुआ है । हार्दिक बधाई। 

कविता - अक्षरों से स्वप्न तक

अक्षरों के स्वर से निकली कंठ की आवाज है

इस धरा पर पर तैरने का ये अभी आग़ाज़ है

नित नये सपने सजा हद बंदिशो की तोड़ता है

अक्षरों में कैद कर कर के गगन में छोड़ता है

आसमानों में युगों से तैरते ख्वाबों के सागर

रोज़ कितने नये फसाने भेजते हैं इस धरा पर

हो कोई साँचा मनुष्य जिसमें स्वप्न डालकर

रोज़ उन स्वप्नों के बनते हैं न जाने कितने अक्षर

अक्षरों का ये सफ़र और ज्ञान की अज्ञानता

खेल में नित तुच्छ सी ये मनुष्य की महानता

(मौलिक व अप्रकाशित) 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज भाई,  प्रदत्त चित्र से उमगता बालसुलभ उत्साह सहज ही शाब्दिक हुआ है। बधाई बधाई…"
7 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी चित्र को सार्थक करती छंद रचना।चित्र के सभी भावों पर दृष्टि डाली है आपने।…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी वाह बहुत सुन्दर..चित्र के हर भाव को जीवंत करती रचना..हार्दिक बधाई "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्र को जीवंत कर दिया है आपके छंदों ने। हार्दिक बधाई स्वीकार करें"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन।चित्र को साकार करते उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई। "
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद    आओ रे सब साथ, करेंगे मिलकर मस्ती। तोड़ेंगे  हम   आम,…"
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"कृपया ठेले पढ़ें।एडिट का समय निकल जाने के बाद इस टंकण त्रुटि पर ध्यान गया"
12 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद  _ चित्र दिखाता मस्त, एक टोली बच्चों की हैं थोड़े शैतान, मगर दिल के सच्चों की ठान…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ******** पके हुए  ढब  आम,  तोड़ने  बच्चे आये। गर्मी का उपचार, तभी यह…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, आदरणीय, वाह!  प्रवहमान अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई शुभ-शुभ "
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service