आदरणीय काव्य-रसिको !
सादर अभिवादन !!
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छप्पनवाँ आयोजन है.
इस बार के आयोजन के लिए सहभागियों के अनुरोध पर अभी तक आम हो चले चलन से इतर रचना-कर्म हेतु एक विशेष छंद साझा किया जा रहा है।
इस बार छंद है - दोहा छंद
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
22 जून’ 24 दिन शनिवार से
23 जून’ 24 दिन रविवार तक
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
दोहा छंद के मूलभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.
*********************************
आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -
22 जून’ 24 दिन शनिवार से 23 जून’ 24 दिन रविवार तक रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं।
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष : यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.
मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय दयाराम मेठानी जी, प्रदत्त चित्र पर दोहा छंद का बढ़िया प्रयास हुआ है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. दोहा की गेयता बाधित हो रही है इसलिए पुनर्विचार निवेदित है. बस शब्दकल देख लीजिये. सादर
आदरणीय आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा है। सादर
चित्र पर सुंदर दोहे आद.दयाराम मेठानी जी। आद.अशोक रक्ताले जी द्वारा सुझाए गए परिमार्जन उत्तम हैं।
प्रदत्त चित्र आधारित सुन्दर दोहावली के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय दयाराम मथानी जी
आदरणीय दयाराम मथानी, आपकी प्रस्तुति का सादर धन्यवाद।
यह अवश्य है, कि कई सुधी सदस्यों ने छंदों में गेयता को लेकर चर्चा की है। ऐसे सुझावों का संज्ञान लिया जाना रचना-अभ्यास को और सशक्त करेगा।
शुभातिशुभ
दोहा छन्द
आओ भैया हाथ दो,छप्पर को लो थाम।
इस बारिश को झेल ले,बाकी देखे राम।।
मौसम से करने डटा, छप्पर दो -दो हाथ।
कहता मत डर झोपड़ी, मैं बैठा हूँ माथ।।
बिना पुकारे सब जुड़ें ,अपनों का हो साथ।
क्यों सोचें फिर क्या लिखा,किस्मत ने है माथ।।
मित्र सभी जब साथ हैं,चिंता की क्या बात।
छप्पर से छन कर दिखे,तारों वाली रात।।
घर है सबका झोपड़ी, दर्द सभी के एक।
सुख-दुख मिलकर बाँटना, बात बड़ी है नेक।।
मौलिक व अप्रकाशित
आओ भैया हाथ दो,छप्पर को लो थाम।
इस बारिश को झेल ले,बाकी देखे राम।।...वाह ! वाह ! चित्र की आत्मा को ही जैसे आपने दोहे में उतार दिया है.
आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, सभी दोहे प्रदत्त चित्र पर सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर
आदरणीय अशोक जी
इस प्रयास को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार
आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र पर आपने बहुत उम्दा दोहे लिखें हैं. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई
आओ भैया हाथ दो,छप्पर को लो थाम।
इस बारिश को झेल ले,बाकी देखे राम।।............ वाह क्या ही खूब दोहा हुआ है.
मौसम से करने डटा, छप्पर दो -दो हाथ।
कहता मत डर झोपड़ी, मैं बैठा हूँ माथ।।........... बढ़िया कहन
बिना पुकारे सब जुड़ें ,अपनों का हो साथ।
क्यों सोचें फिर क्या लिखा,किस्मत ने है माथ।।....... वाह एका को क्या खूब शाब्दिक किया है
मित्र सभी जब साथ हैं,चिंता की क्या बात।
छप्पर से छन कर दिखे,तारों वाली रात।।........... बढ़िया शब्द चित्र
घर है सबका झोपड़ी, दर्द सभी के एक।
सुख-दुख मिलकर बाँटना, बात बड़ी है नेक।।...... सही बात ...पीर को क्या खूब पकड़ा है
पुनः इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर
आदरणीय मिथिलेश जी
दोहों पर उपस्थित सराहना और समीक्षा के लिए आपका हार्दिक आभार
वाह,चित्र पर बहुत सुंदर दोहे आद.प्रतिभा पाण्डेय जी।
प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |