For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ अड़सठवाँ योजन है।.   

 

छंद का नाम  -  कुण्डलिया छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

21 जून’ 25 दिन शनिवार से

22 जून 25 दिन रविवार तक

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

***************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -

21 जून’ 25 दिन शनिवार से 22 जून 25 दिन रविवार तक रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 316

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं. "योगा कहते योग को, यह भी है इक रोग॥"...सचमुच ही मात्राएँ मिलाने के लिए इस प्रकार का अनुचित प्रयोग कई रचनाकारों द्वारा किया जाता है. यह बन्द होना चाहिए. हार्दिक  बधाई स्वीकारें. सादर 

आदरणीय अशोक  भाईजी 

छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। 

कुंडलिया छंद

***********

पढ़ना लिखना सीखते, नन्हें - नन्हें बाल।

मिलकर करते योग सब, मिला ताल से ताल।

मिला ताल से ताल, जगे यह दुनिया सारी।

छूमंतर हों रोग, योग जब पड़ता भारी।

सुन लो रे ' कल्याण ', योग की सीढ़ी चढ़ना।

तेज रहे मस्तिष्क, खूब तुम लिखना पढ़ना।।

**********

योगी जन सब योग को, देते नव आयाम।

बाल सभी मिल सीखते, आसन प्राणायाम।

आसन प्राणायाम, हरें सब पीर बदन की।

काया हो नीरोग, कली ज्यों खिले चमन की।

जागो रे ' कल्याण ', पड़े क्यों बनकर भोगी।

चमकालो तकदीर, छोड़ कर आलस योगी।।

************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

वाह,चित्र पर सुंदर कुण्डलिया रचे हैं आद.सुरेश कुमार 'कल्याण जी।

सुन्दर सार्थक छंद सृजन..हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी

योगी जन सब योग को, देते नव आयाम।

बाल सभी मिल सीखते, आसन प्राणायाम।

वाह वाह.. हार्दिक बधाइयाँ

आदरणीय सुरेश कल्याण जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार दोनों ही कुण्डलिया छंद आपने सुन्दर रचे हैं. हार्दिक बधाई स्वीकारें. जहाँ-जहाँ आपने 'कल्याण' अपने उपनाम का प्रयोग किया है. उसे यदि एक वचन करें तो छंद और भी प्रभावी बन पडेगा. सादर 

आदरणीय सुरेश कल्याण जी, 

आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद। 

योगी जन सब योग को, देते नव आयाम।

बाल सभी मिल सीखते, आसन प्राणायाम।

-कुण्डलिया छंद-

1-

कुण्डलिया लिखने दिया, योग दिवस का चित्र।

छंदोत्सव में योग पर, लिखना  सबको  मित्र।।

लिखना सबको मित्र, योग  के  लाभ  समूचे।

पहुँचाना   है   योग,  गली   हर   कूचे-कूचे।।

रहें स्वस्थ सब लोग, लगे  खुशहाली  दिखने।

इस कारण यह चित्र, दिया कुण्डलिया लिखने।।

2-

सिखलाया जाए अगर, बचपन से ही योग।

तो  जीवनभर  व्यक्ति  से, दूर  रहेंगे  रोग।।

दूर  रहेंगे  रोग,  स्वस्थ  होगी  तब  काया।

काम  करेंगे  लोग, बढ़ेगी  घर  में  माया।।

योग दिवस का पर्व, सभी ने साथ मनाया।

छात्रों को भी योग, शिक्षकों ने सिखलाया।।

3-

बचपन से जो भी करे, योग और व्यायाम।

इच्छाओं की वह सदा, रखता कसी लगाम।

रखता कसी लगाम, नियम यम संयम करके।

आधि-व्याधियाँ  दूर,  रहें  उससे  डर-डर के।।

योग रखे सम्पन्न, व्यक्ति को तन-मन-धन से।

रहना  जिसे  प्रसन्न, योग  सीखे  बचपन से।।

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

-हरिओम श्रीवास्तव-

चित्रानुकूल बहुत सुन्दर और सार्थक छंद सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी

सिखलाया जाए अगर, बचपन से ही योग।

तो  जीवनभर  व्यक्ति  से, दूर  रहेंगे  रोग।।...मात्र इन दो  पंक्तियों के माध्यम से आपने निरोग रहने का मन्त्र जन-जन तक पहुंचा दिया है. 

आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर, प्रदत्त चित्र और योग दिवस पर आपके तीनों ही कुण्डलिया छंद सार्थक बन पड़े हैं. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर 

आदरणीय हरिओम भाईजी

सुंदर सार्थक तीन छंदों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए।

गली   हर   कूचे-कूचे।।

कूचे का अर्थ  गली ही होता है।  अतः गली के स्थान पर कोई और त्रिकल रखना सही होगा। 

वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह। 

आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद। अच्छी और सफल रचनाओं के लिए हार्दिक बधाइयाँ

आज गाँव में पारिवारिक कार्यक्रम में अत्यंत व्यस्त हूँ। आपको पता ही है। खैर, जीवन-मरण ही संसार-चक्र है। 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"हुआ आदमी जानवर धीरे-धीरे   जहाँ हो गया चिड़ियाघर धीरे-धीरे  लगा मानने…"
6 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"गिरह के शेर में 'जहाँ जल्दबाज़ी में पहुँचे थे कल तुम' कहना सहज होता।  रदीफ़ क़ाफ़िया…"
18 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जहां हम मिले थे, जहां से चले थे चलो वापसी उस डगर धीरे धीरे कहन की पूर्णता के लिये वाक्य रचना की…"
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन।उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
44 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जहां हम मिले थे, जहां से चले थेचलो वापसी उस डगर धीरे धीरे एक प्रभावशाली गजल हुई है आ. पूनम जी।…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई तिलकराज जी सादर अभिवादन। यह तरही से अलग है। इस पर आपसे मार्गदर्शन की अपेक्षा है। नेट की…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। मक्ता सुधारने का…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"तू पहले नदी  में  उतर धीरे-धीरेकटेगा तेरा फिर सफ़र धीरे-धीरे।१।*बहा ले न जाए सँभल तेज़…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"122 122 122 122  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे करेगी मुहब्बत असर धीरे धीरे 1 भरोसा नहीं…"
6 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सुलगता रहा इक शरर धीरे धीरे जलाता रहा वो ये घर धीरे धीरे मचाया हवाओं ने कुहराम ऐसा गिरा टूट कर हर…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"रदीफ़ क़ाफ़िया में तो ऐसा कोई बंधन नहीं है इसलिये आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है। "
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service