For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 46 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ 

20 फरवरी 2015 से  21 फरवरी 2015,  

दिन शुक्रवार  से दिन शनिवार

इस बार के आयोजन के लिए जिस छन्द का चयन किया गया है, वह है –  कुकुभ छन्द

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]

कुकुभ छ्न्द के आधारभूत नियमों को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

एक बार में  अधिक-से-अधिक तीन कुकुभ छन्द प्रस्तुत किये जा सकते है. 

ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 20 फरवरी 2015  से  21 फरवरी 2015 यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

  • आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, न कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.  आयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  • आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  • इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  • रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  • रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

Views: 10001

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

तीनों पद बहुत सुन्दर हुए हैं आ० सत्यनारायण सिंह जी 

मन बल जिनका ऊँचा होता, वही उड़ान भरें ऊँची!.......................बहुत सुन्दर 

यहाँ भरे पितु जोश बाल मन, वहाँ चितेरे की कूँची!३!...................बहुत सुन्दर 

भाव शब्द शिल्प हर स्तर पर आपकी रचना मुझे बहुत पसंद आयी 

हार्दिक बधाई 

आपकी सराहना से आत्मिक  प्रसन्नता हुई हार्दिक आभार आदरणीया डॉ प्राची  जी

//बदली में छिप चाँद चाँदनी, लिखते दिल का अफसाना!
इसी अदा पर मुग्ध चाँदनी, रिस रिस बाँटे नजराना!२!  //

क्या बात है आदरणीय सत्यनारायण जी, बहुत अच्छे, सुन्दर व्याख्या की है, अच्छी अभिव्यक्ति, बहुत बहुत बधाई.

मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय बागी  जी

तेरा संबल मेरी बाँहें , तू नभ को छू आ प्यारे |

ओझल आँखों से मत होना , मेर्री आँखों के तारे ||

सागर मैं हूं गागर तू है , तुझको भरकर मैं रीतूं |

तुझमें मुझको पाए दुनिया , तू रह जाये मैं बीतूं ||

 

अंबर मैं हूं तू है तारा , रौशन तुझसे मेरा मन |

गुलशन मैं हूं एक सुमन तू , महका तुझसे घर-आँगन ||

मेरे काँधे पर सोये तू , मेरी बाँहों में जागे |

फीके हैं सब सुख दुनिया के , इस सुख के आगे ||

 

तुझमें अपना बचपन ढूंढूं , तुझसा था मैं मुझसा तू |

भरकर तुझको इन बाँहों में , हो जाते सारे गम छू ||

वृक्ष घना मैं तू फल मेरा , तू कल मेरा कद लेगा |

आज चढ़ा है काँधे पर तू , कल काँधा मुझको देगा ||

 मौलिक व अप्रकाशित 

छंद हुए खुरशीद गज़ब के, ग़ज़लों जैसे मतवारे 

लेकिन लघु दो लेकर कैसे एक गुरु ना ना नारे 

आयोजन को धन्य किया है रचकर ऐसे छंदों को 

आज गज़ब की सीख मिली है मुझ जैसे मतिमंदों को 

आदरणीय मिथिलेश जी ,हार्दिक आभार |लेकिन लघु दो लेकर कैसे एक गुरु ना ना नारे , को थोड़ा स्पष्ट कर दें तो सुधार कर लूं ,क्यूंकि ग़ज़ल की अभ्यस्त लेखनी से चूक हो जाना लाज़मी है |सादर 

शर्त यही है छंद कुकुभ की, सम पद आखिर गुरु दोनों 

मेरा मन में,  घर आँगन में, गायब पाए गुरु दोनो

इस कारण ये बात कही है, केवल इतना बोला है 

वरना सर जब छंद पढ़े तो, मेरा मन भी डोला है  

आदरणीय ,मिथिलेश  जी क्या कहने ,,आज आप पर  कुकुभ छंद का रंग ख़ूब चढ़ा है या फागुन का असर है |आप टिप्पणी से लेकर संवाद तक इसी छंद में कह रहें हैं ,यह बहुत ही प्रीतिकर लग रहा है |आपका इशारा समझ गया हूं ,अगली प्रस्तुति में विशेष ध्यान रखूँगा ,वैसे आपने आगे इसे सुधार दिया है ,जो अच्छा बन पड़ा है तथा सहर्ष स्वीकार्य है |सादर आभार | 

क्या बात है। वाह। गजब। आप एक उत्साही विद्यार्थी हैं। जो कि प्रतिभासंपन्न है। सीखने का ये जज्बा हमें भी प्रेरित करता है।

संवादों में पद्य छलकता, बहता आया ’सुभिता’ में
कुकुभ छन्द का शिल्प मर्म पर, व्यक्त हुआ है कविता में
पढ़ना लिखना सुनना कहना, बोल-बोल में गिनती है
वामनकर की शब्द-साधना, निखरे यों ही विनती है

पढ़कर रचना इतनी प्यारी, ये आँखें भर आई है 

आज मरासिम को समझा मन, रूह ज़रा अकुलाई है 

नमन कलम को छंदों से जो, मन मंदिर में छा जाए 

जितनी भी है पास दुआएं, आज सभी हम ले आये 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
52 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
54 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
57 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service