For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार  उनसठवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  18 मार्च 2016 दिन शुक्रवार से  19 मार्च 2016 दिन शनिवार तक

 

इस बार गत अंक में से तीन छन्द रखे गये हैं - चौपाई छन्द, दोहा छन्द और सार छन्द.

 

 

यानी, दोहा छन्द फिर से सम्मिलित हुआ है.

क्योंकि होली है !

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

 

इन छन्दों में से किसी एक या तीनों छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है. 

 

इन छन्दों में से किसी उपयुक्त छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

 

[प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो तीनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

 

चौपाई छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने केलिए यहाँ क्लिक करें 

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 18 मार्च 2016 दिन से 19 मार्च 2016 दिन यानि दो दिनों के लिए  रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 14847

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , छंद पर अपने अनुमोदन और प्रशंसा भरी टीप देते हुए उपस्थित होने के लिए विनम्र आभार। 

आदरणीय  शुकल  जी , 'वर्णार्घ्य दान ' की जानकारी  साझा करने हेतु  आभार . शिल्प के बारे में आ० सौरभ जी ने संकेत किये है . केवल मात्रिकता पूर्ण कर लेने से ही छंद पूर्न्नाही होता . छंद सिद्ध करने हेतु कलों और रिदम का भी ख्याल रखना अनिवार्य है . आपकी पहली पंक्ति मे    'प्रकृतिकी हर डाली'  111 2 11 22  केवल  ग्यारह मात्राएँ हैं  कृ का र  प्र को दीर्घ नही करेगा क्योंकि  कृ स्वतंत्र रूप से  लघु  और एक मात्रिक है .  कृपया 'वर्णार्घ्य दान 'को विस्तार से बताएं , सादर . 

आदरणीय डॉ गोपालनारायण श्रीवास्तव जी , यदि नियमानुसार 'प्रकृति' में चार न होकर तीन मात्राएँ ही बनती हैं और आदरणीय सौरभ पाण्डेयजी के अनुसार अंतिम पद के प्रथम चतुर्थांश का पदांत "अग्नि में" से नहीं हो सकता है तो अवश्य इसे संशोधित करने का प्रयत्न किया जायेगा। आपके द्वारा दी गई इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए बहुत आभार।
"वर्णार्घ्य दान" पर विस्तृत जानकारी देने के लिए यह समारोह स्थल उचित तो नहीं है परन्तु आपने जानना चाहा है इस लिए संक्षेप में बताये देता हूँ , अवसर मिला तो विस्तार से विवरण 'आध्यात्मिक चिंतन ' वाले समूह में अवश्य प्रस्तुत करूंगा।
यह सर्वविदित है कि हम जो सोचते हैं, कहते हैं या करते हैं उनके वेवपेटर्न अर्थात आवृत्तियों के समूह हमारे मन में ही संचित होते जाते हैं जिन्हें दार्शनिक भाषा में संस्कार कहा जाता है। भौतिक विज्ञान कहती है कि प्रत्येक वेव पैटर्न का उसकी तरंगदैर्य के अनुसार रंग या वर्ण अर्थात फ्रीक्वेंसी होती है। यही संस्कार/रंग/वर्ण/फ्रीक्वेंसी हमें जीवन मरण के चक्र में घूमते रहने अर्थात आवागमन के कारण बनते हैं। दर्शनिकगण इन संस्कारों से मुक्त होकर मोक्षमार्ग पर बढ़ने में सरलता होने की चर्चा करते हैं। योग विज्ञान में "प्रत्याहार योग " की सहायता से इन सभी प्रकार के संस्कारों को शीघ्रातिशीघ्र क्षय करने में सहायता मिलती है। परन्तु जन्म जन्म के असंख्य संस्कारों को अपने पराक्रम से क्षय करने के लिए भी असंख्य जन्म लेने की आवश्यकता पड़ सकती है इसलिए योगीगण प्रतिदिन साधना से अर्जित ऊर्जा के साथ ही अपने अधिकाधिक संस्कारों / वर्णो/रंगों को गुरुपूजा के समय परमपुरुष को ही भेंट करते जाते हैं और रोज अपने को नयी ऊर्जा पाने के लिए तैयार करते रहते हैं। इसे ही वर्णार्घ्य दान कहते हैं। बसंतोत्सव अर्थात होली मानाने का भी अन्तर्निहित उद्देश्य यही है जिसे गोप और गोपियों को 'योगिराज कृष्ण ' ने 'रागानुगा और रागात्मिका भक्ति' की दीक्षा देते समय कृपापूर्वक सिखाया था परन्तु पौराणिक कथाओं के प्रभाव से आज इस साधना में अनेक विकृतियां आ गयीं हैं जिन्हें हम सभी भलीभांति जानते हैं। सच्चे अष्टांगयोगी अभी भी कृष्ण के निर्देशों का मनोयोग से पालन करते हैं। सादर।
आदरणीय , आपने मेरी रचना को उचित समय देकर मार्गदर्शन किया इसके लिए विनम्र आभार।

वाह ! अद्भुत ! 

प्रत्याहार की अवधारणा को एक और आयाम से  स्पष्ट किया आपने , आदरणीया टी आर सुकुल जी,  हार्दिक धन्यवाद

 (अवधी भाषा में )

फागुन  माह   सुगंध   सुहावा I होरि  महोत्सव मधु  नियरावा

मिलन मनोरथ भलि बढ़ि आवा I कुसुमित बाण मदन चढ़ि धावा I

 

पूनम निशि विधु-रश्मि  अंजोरी I बल्ला,   कंडा,   काठ  बटोरी I

लाइ    कपूर    जराई   होरी I करैं  फागु  सब चांचरि  जोरी I

 

भेरी   चंग    नफीरी    बाजे I भंग-रंग  सब  मुख  पर साजे I

उड़ै  अबीर  गगन  तक  राजे I कुंकुम  रोली   अंगनि   छाजे I

 

नाचत-गावत   होरिहा   आवै  I पानी    रंग   गुलाल   उड़ावै I

भरि- भरि  तान  कबीरै  गांवै I उमगि   गारि  बौछारैं    लावैं I

 

        बीस आंजुरी है सजी सरसिज दल अनुरूप I

        रंग दशाधिक पांखुरी सज्जित कंज अनूप II  

 

    

   होरी होवे  या मानुष का  कोई  परब नियारा  I

   बीस हाथ की गंठजोरी में  रंग नीक हो प्यारा II

   कौनेव हाथे  कड़ा  पड़ा है  कौनेव  पहिरे धागा  I

   सबै धरम के  बंधन मां  हैं मनुआ भी अनुरागा II

 

   होय अबीर  गुलाबी चोला  औ  गुलाल  का रेला I

   नेह बढाते हैं  आपसु में  ये  सबु  दरसन  मेला II

   छहर-छहर जब होय समरपन अरपन की रस गंगा I

   रोक सकै  तबु कौनु सरग मां  उड़ता हुआ तिरंगा II

------------------------------------------------------------------------------  

 चाँचरचाँचरि (१)
संज्ञा स्त्री० [सं० चर्चरी] बसंत ऋतु में गाया जानेवाला एक राग । चर्चरी राग जिसके अंतर्गत, होली, फाग, लेद इत्यादि माने जाते हैं । उ०तुलसीदास चाँचरि मिसु, कहे राम गुणग्राम ।तुलसी (शब्द०) ।

  

   (मौलिक एवं अप्रकाशित )

हमारे लिए नवीन जानकारी व सुखद आंचलिक अनुभव देती बेहतरीन रचना की पेशकश के लिए तहे दिल बहुत बधाई और धन्यवाद आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी। अवधी न आने के कारण पूरी तरह नहीं समझ पाया हूँ।

आ० उस्मानी जी , आपका आभार . आपके स्नेह से अभिभूत.  मैं भले समय के भाव के कारण  आपकी और अन्य मित्रों  की रचना पर नहीं आ पाता पर मेरा स्नेह सभी पर है और आप जैसे मेहनती रचनाकार पर तो विशेष . साधुवाद.  

आआ० भाई गोपाल नारायण जी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई l

आ० धामी   आपको  सैल्यूट  आपको सलामी 

जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,इस प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

आहा आ० कबीर जी ----होलीमे कबीर को कौन भूल सकता है . सादर . 

वाह्ह्ह  अद्दभुत अवधि भाषा में बहुत शानदार चौपाई रची हैं आ० गोपाल भाई जी भले ही कुछ कम समझ आई हों किन्तु लय और शब्दों ने मंत्रमुग्ध किया .दिल से बधाई लीजिये .

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी,आपका आभार।"
17 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"  ऑनलाइन शॉपिंग ने खरीदारी के मापदंड ही बदल दिये हैं।जरूरत से बहुत अधिक संचय की होड़ लगी…"
18 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय मनन सिंह जी जितना मैं समझ पाई.रचना का मूल भाव है. देश के दो मुख्य दलों द्वारा बापू के नाम को…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"जुतयाई (लघुकथा): "..और भाई बहुत दिनों बाद दिखे यहां? क्या हालचाल है़ंं अब?""तू तो…"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service