मैंने भी कुछ सोंचा ---
मौन रहकर साज भी,
हैं ध्वनित होते नहीं,
कुछ बोलने दे आज,
मन की बात कहने दे मुझे।
है नहीं ख्वाहिश कि,
सुन्दर सा सरोवर मैं बनूँ
धार हूँ नदिया की मैं,
मत रोक बहने दे मुझे।
हर एक पल भी खुशनुमा,
होता नहीं तकदीर में,
हौसलों के साथ में,
कुछ गम भी सहने दे मुझे।
"अज्ञात" का आधार प्रभु,
अज्ञात का है हमसफ़र,
मत छोड़ मेरा हाथ,
अपने साथ रहने दे मुझे।
चाह इतनी भी नहीं,
सब लोग पहचाने मुझे,
अज्ञात था, अज्ञात हूँ,
अज्ञात रहने दे मुझे।।
कैसे दिल को सम्हालूं मैं बाज़ार में,
उनसे खुद का दुपट्टा सम्हलता नहीं,
राख करती मुझे मेरे दिल की तपिश,
उनका दिल भी कभी क्यों पिघलता नहीं ,
आज की शाम ऐसे कभी भी न थी,
पहले बदनाम ऐसे कभी भी न थी,
ख्वाब हम ने हजारों हैं पाले मगर,
उनके दिल में कोई ख्वाब पलता नहीं,
कैसे दिल को....
दिल में गहरा समन्दर भी है प्यार…
ContinuePosted on August 7, 2024 at 1:13pm
Posted on August 10, 2018 at 10:27am — 12 Comments
इम्तहान के दिन में काहे ,
जमकर नींद सताये रे.
पुस्तक पर जब नजर पड़े ,
तो दुविधा से मन काँप उठे ,
काश,कहीं मिल जाती सुविधा, नइया पार कराये रे .
हर पन्ना पर्वत सा लागे ,
लगे पंक्तियां भी भारी ,
प्रश्नों की तलवार दुधारी ,
रह रह आँख दिखाये रे.
चार दिनों में होना ही है ,
दो दो हाथ पुस्तिका से ,
क्या लिक्खूंगा उत्तर उस पर ,
मन मेरा भरमाये रे…
ContinuePosted on May 5, 2018 at 4:54pm — 3 Comments
बीत गई सर्दी , बीत गई ठंड रे ,
दिनभर लुआर बहे गर्मी प्रचंड रे ,
चार दिन की चाँदनी सा प्यारा बसंत था,
पसीने की बूंदों से भीगा अंग-अंग रे ,
स्वेटर,कमीज,कोट लिपटे कई असन वस्त्र,
छोड़छाड़ देह को हुए खंड-खंड रे ,
गर्मी की चुभन से हाल बेहाल हुआ ,
"अज्ञात" कैसे ! कैसे करे व्यंग रे .
मौलिक एवं अप्रकाशित
Posted on February 3, 2018 at 10:30pm — 4 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
Switch to the Mobile Optimized View
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |