174 members
376 members
184 members
samast hindi dhurandhar ,sammanniy,mahamahim mitro ko mera sadar abhinandan
मेरे महबूब सपनों से हक़ीक़त बन तू आ जाए
मेरा उजड़ा हुवॉ जीवन मेरी जाँ फिर सवर जाए
मुझे अहसास अब होने लगा है इश्क़ में तेरे
कहीं ना ज़िन्दगी तेरी ही गलियों में गुज़र जाए
जिसे हो जुस्तजू तेरी वो बेचारा किधर जाए
जिए वो ज़िंदगी अपनी या आहें भर के मर जाए
मैं अक्सर आह भरता हूँ तेरे दीदार के ख़ातिर
झलक तेरी मिले गर तो मेरा जीवन सँवर जाए
तेरी गलियों की मिट्टी भी मुझे जन्नत से प्यारी है
चले गर साथ हम दोनों मुहब्बत भी निखर…
Posted on April 22, 2016 at 10:03am — 6 Comments
चेहरा तेरा चाँद का टुकड़ा
भौहें तनी कमान हैं क्या
इन आँखों में मैं मर जाऊँ
होंठों का तिल शान है क्या..2
तेरे तन की ख़ुशबू लेकर
फूल चमन में खिलते हैं
शायर तेरे हुशनो जवाँ की
दिल में किताबें लिखते हैं
उठी नज़र फिर झुक जाए तो
ढल जाती ये शाम है क्या
इन आँखों पे ...
तेरे लबों की बात करूँ तो
खिले कमल शर्माते हैं
तेरे क़दम जो पड़े जमी पे
शहंशाह झुक जाते हैं
तेरा खनकता स्वर गूंजा या
वीना की कोई तार है…
Posted on April 19, 2016 at 6:14pm
मेरे सपनों में अक्सर ही
आकर मुझे जागता है
गाँव मेरा मुझको फिर यारों
वापस मुझे बुलाता है
वो खलिहानों की पगडंडी
सड़क बन गई काली है
दीपक भी अब नहीं रह गए
लाइट चमक निराली है
जिनके ख़ातिर दूर गया तू
वो सब मुझे दिखाता है
गाँव मेरा ....
मिट्टी के घर नहीं रहे अब
ईंटों के माकान बने
निर्मल निश्चल दिल वाले
अब पत्थर के इंसान बने
दिन प्रति दिन उन पत्थर में
इंसान नज़र ना आता है
गाँव...
हरे भरे तालाब सूखकर खेलों के…
Posted on April 19, 2016 at 1:09pm — 3 Comments
भवदिव्य भाव मनोरमां,झन झनक झन झनकार दे
जय जयति जय जय ,जयति जय जय जयति जय माँ शारदे
कमलासिनी वरदायिनी माता हमें वरदान दे
जय जयति ........
चरणों में तेरे हैं समर्पित ज्ञान की ले याचना
वेदों का कर दो दान माते कर रहे हम प्रार्थना
माँ हम फसें मझधार में भवतारिणी तू तार दे
जय जयति.......
माँ छेड़ दो वो राग जिससे स्वरमयी धारा बहे
लोकों में तीनो मातु तेरी लोग सब जै जै कहें
स्वरदायनी माँ स्वरस्वती स्वर का हमें अधिकार दे
जय…
Posted on February 12, 2016 at 10:00am — 1 Comment
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
Switch to the Mobile Optimized View
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
Comment Wall (2 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
आदरणीय अमित जी आपका स्वागत है