For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Gul Sarika Thakur
Share on Facebook MySpace

Gul Sarika Thakur's Friends

  • Abhishek Kumar Jha Abhi
  • जितेन्द्र पस्टारिया
  • किशन  कुमार "आजाद"
  • pawan amba
  • vijay nikore
  • आशीष नैथानी 'सलिल'
  • विजय मिश्र
  • Satish Agnihotri
  • aman kumar
  • पीयूष द्विवेदी भारत
  • अरुन 'अनन्त'
  • Bhawesh Rajpal
  • Sanjay Mishra 'Habib'
  • वीनस केसरी
  • Pankaj Trivedi
 

Gul Sarika Thakur's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Bhopal
Native Place
Bihar
Profession
Freelance writer
About me
Ask my friends

Gul Sarika Thakur's Blog

सुनने वाली मशीन

अस्सी वर्षीय बाबू केदार नाथ ने अपने कानों में सुनने वाली मशीन लगाकर मफ़लर लपेट लिया| आईने में खुद को देखकर आश्वस्त हुए| मशीन पूरी तरह मफ़लर के नीचे छिप गया था| अब उन्होने पुराना टेप रिकार्डर निकाला और प्रिय गाना बजा दिया|

बरेली के बाज़ार में झुमका गिरा रे-कमरे में आशा भोसले की नखरीली आवाज़ गूंज उठी|

बाबू केदारनाथ के होंठो पर एक प्यारी सी मुस्कान खेल गई|

अजी सुनते हो! उनके कानो से एक तेज कटार सी आवाज टकराई|

अपने बाउजी को…

Continue

Posted on August 11, 2017 at 11:47am — 6 Comments

पूछना उनसे

आँख कान और जुबान की सांकल खुले तो

पूछना उनसे

जिंदाबाद का नारा लगानेवालों में

कितने ज़िंदा थे यकीनन|  

पूछना आँखे खुल जाने के बाद

रोज निगली जाने वाली मक्खियों का स्वाद

पूछना वर्तनी उन गालियों का

जिसके एक छोर पर माँ तो दूसरे छोर पर

अक्सर बहने हुआ करती है|  

मगर मत पूछना जुबान से

उस मांसल देह का स्वाद

जिसकी कन्दराओं में ना जाने

कितनी माँए और बहने दुबकी होती है

मगर एक बार पूछना जरुर

इन सांकलों के खुल…

Continue

Posted on April 4, 2014 at 2:00pm — 6 Comments

धीरे-धीरे समझे हम

इस दुनिया के तौर तरीके

धीरे धीरे समझे हम

गुलदस्तों की ओट में खंजर

धीरे-धीरे समझे हम|  …

Continue

Posted on January 23, 2014 at 3:30pm — 12 Comments

सुनो ऋतुराज- 15

सुनो ऋतुराज- 15 

सुनो ऋतुराज!!

वह एक अन्धी दौड थी 

हांफती हुई 

हदें फलांगती हुई 

परिभाषाओं के सहश्र बाड़ो को 

तोडती हुई

फिर भी वह भ्रम नही टूटा 

जिसे तोडने के लिये संकल्पित थे हम 

ऋतुओं का मौन यूँ ही बना रहा 

सावन बरस् बरस कर सूख गया 

हम अन्धड़ के वेग मे भी तने रहे 

और आसक्ति का वृक्ष सूख गया 

सुनो ऋतुराज 

लमहों का बही खाता 

जब भी खोलोगे 

दग्ध ह्रदय पर लिखा 

शुभलाभ अवश्य दिखेगा …

Continue

Posted on November 5, 2013 at 11:30am — 11 Comments

Comment Wall (7 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:19am on May 18, 2013, pawan amba said…
Dil se dhanywaad mujhe is kaabil samjhne kaa
At 12:52pm on May 17, 2013, विजय मिश्र said…
सरिकाजी ! नमस्कार , मित्रता के आमंत्रण हेतु आत्मीय अभिवादन एवं अभिनंदन .
At 12:49pm on May 17, 2013, विजय मिश्र said…
सरिकजी ! नमस्कार , मित्रता के आमंत्रण हेतु आत्मीय अभिवादन एवं अभिनंदन .
At 8:03am on May 16, 2013, vijay nikore said…

आदरणीया गुल सारिका जी:

मित्रता का हाथ बढ़ा कर आपने मुझको सम्मानित किया है।

साहित्यिक आनन्द की प्रत्याशा लिए।

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

At 2:51am on May 16, 2013, vijay nikore said…

आपकी कविता आखरी निवेश के संदर्भ में निम्न स्मृति उमड़ आई...प्रतिक्रिया तो लिखी है, पर फिर भी अलग से लिख रहा हूँ, क्योंकि समय के संग प्रतिक्रिया ढेर में चली जाती है, comments अधिक जीवित रहते हैं।

 

एक बार अमृता प्रीतम जी ने मुझको Paul Potts की कविता का

अनुवाद कर के सुनाया था ... कुछ इस तरह था ...

 

"अगर तुम उस औरत से प्यार करते हो,

जो तुमसे प्यार न करती हो,

उस समय एक ही बात (ठीक) हो सकती है,

कि तुम उस से दूर चले जाओ, बहुत दूर,

वह तुम्हें भिखारी बना क्यूँ देखे,

वह जो तुममें

बादशाह देख सकती थी।"

 

सादर,

विजय निकोर

At 11:02pm on December 12, 2012, Pankaj Trivedi said…

स्वागत है

At 11:57am on September 22, 2012, Satish Agnihotri said…

Welcome Sarika ji..

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service