सह विनाश या सह विकास
दुनियाँ
परमाणु बम पर बैठी हुयी है
बस एक हिट की –
ज़रूरत है ,
मनु – युग मे जाने की
ज़रूरत नहीं होगी
तब मालूम होगा
अस्तित्व
सह विनाश का ।
पर यदि
नयी उमर की नयी फसल -
देखनी है
तो सम्राट अशोक को
फिर से
बुद्ध के शरण मे आना होगा
गांधी और किंग की भावनाओं को
अपनाना होगा
फिर कल – कारखानों से
सुमधुर संगीत जो…
ContinuePosted on April 8, 2014 at 9:47pm — 5 Comments
चेतनाहीन
मैं
एक सपेरा हूँ , मदारी हूँ
कश्मीर से कन्या कुमारी , और –
गुजरात से अरुणाचल तक
दिल्ली
मेरी पिटारी है ।
बंद हैं इसमे काले विषधर साँप , बंदर
पर अफसोस –
ये गाँधीवादी नहीं
इनके आँख , कान और मुंह
सभी बंद हैं
क्यूँ कि ये अवसरवादी हैं ।
मैं गाँधी
एक सपेरा , मदारी !
खड़ा बजा रहा हूँ बीन
पर , अफसोस –
ये चेतनाहीन हो गए से लगते हैं ।
-------…
ContinuePosted on April 4, 2014 at 9:30pm — 5 Comments
दिल तो दीवाना हुआ
आपका इस घर मे कुछ इस तरह आना हुआ
ऐसा लगता है यह घर है आपका जाना हुआ ।
मुझको तो मालूम न था आप यूं छा जाएँगे
रेशमी ज़ुल्फों मे मुझको , यूं छुपा ले जाएँगे ।
आपकी ज़ुल्फों मे खोये सुबह का आना हुआ
ऐसा लगता है यह घर है आपका जाना हुआ ।।
आप सावन की घटा हैं, या हैं फागुन की बहार ?
अब गले लग जाइए , मत देखिये यूं बार बार ।
नयन है मदहोश अब तो प्यार पैमाना हुआ
ऐसा लगता है यह घर है आपका…
ContinuePosted on April 3, 2014 at 8:30pm — 6 Comments
चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?
तुम सुंदर हो , तुम भोले हो
नटखट तुम हो बहुत सलोने ।
रूठ - रूठ जाते क्यूँ मुझसे ?
छुप छुप कर बादल के कोने ।
तुम बादल से झांक झांक कर, अपना रूप दिखाते क्यूँ हो
चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?
मुझसे स्नेह नहीं है, मानूँ –
तुम छुप जाओ नज़र न आओ ।
चंद्र बदन ढँक लो तुम अपना
मेरी बगिया नज़र न आओ ।
आँख मिचौली खेल खेल कर, रह रह मुझे रिझाते क्यूँ हो
चाँद मुझे…
ContinuePosted on March 31, 2014 at 5:00pm — 8 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
Switch to the Mobile Optimized View
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
Comment Wall (1 comment)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
You are welcome Mr.SC Brahmachari on this platform. We do look for a cooperating presence from all those like you.
Regards