अभी अभी जन्मे हो
फिर भी इतना रोना धोना
बात क्या है
क्यों रो रहे हो बच्चे ?
मैंने पूछ लिया
एक प्रश्न बेवजह ।।
बच्चा चमत्कारी था
बोल पडा झट से
क्यों नहीं रोऊँ मैं
इस दुनिया में आके
जबकि इस दुनिया में
गरीब रो रहा है
अमीर रो रहा है
बेऔलाद रो रहा है
औलाद वाला रो रहा है
इस दुनिया में सब लोग
मेरी तरह नंगे हाल आये
फिर भी सब के सब रो रहे हैं
जो हँस रहा है
वो भी रो रहा है
जो रो रहा है वो भी रहा है
जब पूरी…
Posted on October 18, 2015 at 9:49am — 4 Comments
तुम मेरे हो या कोई पराये
निश्चित तो कर लेने दो
मेरी सूखी आँखों में
कुछ पानी तो भर लेने दो
या तो आकर ठहर ही जाओ
या फिर दूर चले जाओ
यादों को मंजूर नहीं है
तेरा यूँ आना जाना
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित
Posted on July 19, 2015 at 8:54am — 3 Comments
Posted on July 5, 2015 at 12:26pm — 5 Comments
1222 1222 1222 1222
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मुहब्बत है कभी जिसने मुझे कहला दिया साहिब
मगर फिर घाव उसने ही बहुत गहरा दिया साहिब
जरूरत ही नहीं होती मुहब्बत में व़फाओं की
के बच्चों की तरह उसने मुझे बहला दिया साहिब
सड़क पर भूख से बेचैन माँ आँसू बहाती है
निवाला बेटे को जिसने ,कभी पहला दिया साहिब
मुहब्बत मिट नहीं पायी दीवारों में चुनी फिर भी
रक़ीबों ने जमाने से बहुत पहरा दिया साहिब
बहुत छेड़ा है दुनिया ने खुदा की पाक…
Posted on May 20, 2015 at 4:47pm — 10 Comments
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Comment Wall (3 comments)
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
आदरणीय
उमेश कटारा जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
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