For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आचार्य संदीप कुमार त्यागी
  • 47
  • ब्राम्प्टन ऑण्टारियो
  • Canada
Share on Facebook MySpace

आचार्य संदीप कुमार त्यागी's Friends

  • GOPAL BAGHEL 'MADHU'
  • Deepak Sharma Kuluvi
  • Rash Bihari Ravi
  • Admin
 

Welcome, आचार्य संदीप कुमार त्यागी

Profile Information

Gender
Male
City State
Ontario
Native Place
India
Profession
Yoga Teacher

आचार्य संदीप कुमार त्यागी's Blog

कल रहे या ना रहे

क्या भरोसा जिन्दगी का कल रहे या ना रहे।

क्या पता यह बुलबुला कुछ पल रहे या ना रहे।।

 

है भयंकर इक समन्दर ये जहाँ उठ्ठे तूफां,

तैरती कागज की कश्ती तेज मौजों में यहाँ।

है किसे मालूम कब ये गल रहे या ना रहे।।

 

पूरी हो पायेंगी शायद ही खुशी ओ ख्वाहिशें,

मिट्टी के इस ढेले पे होतीं गमों की बारिशें।

क्या पता पानी में कब ये घुल रहे या ना रहे ।।

 

हो गई मुश्किल न कम है जिन्दगी अब बोझ से,

मौत रूपी माशूका की गोद में सब…

Continue

Posted on June 30, 2011 at 8:00am

"गाँधी का देश"

गाँधीवादी गुण्डों ने ही लूट लिया गाँधी का देश

जात पात मजहब पंथों में फूट लिया गाँधी का देश॥

 

रघुपति राघव राजाराम मंदिर के कारण बदनाम,

ईश्वर या अल्लाह का नाम अब करवाता कत्ले-आम।

सत्य प्रेम की पगडंडी से छूट लिया गाँधी का देश॥

 

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई बन बैठे हैं आज कसाई,

चंगुल में हैवानों के मानवता बकरी सी आयी।

कर हलाल हैं रहे हाय! अब टूट लिया गाँधी का देश ।।

 

गाँधी जी का धर्म अहिंसा, इनका है…

Continue

Posted on June 3, 2011 at 8:28am — 2 Comments

दारू का दानव

निम्नांकित पद्यों में घनाक्षरी छंद है, ‘कवित्त’ और ‘मनहरण’ भी इसी छन्द के अन्य नाम हैं। इसमें चार पंक्तियाँ होती है और प्रत्येक पंक्ति में ३१, ३१ वर्ण होते हैं। क्रमशः ८, ८, ८, ७ पर यति और विराम का विधान है, परन्तु सिद्धहस्त कतिपय कवि प्रवाह की परिपक्वता के कारण यति-नियम की परवाह नहीं भी करते हैं। यह छन्द यों तो सभी रसों के लिए उपयुक्त है, परन्तु वीर और शृंगार रस का परिपाक उसमें पूर्णतया होता है। इसीलिए हिन्दी साहित्य के इतिहास के चारों कालों में इसका बोलबाला रहा है। मैं इस छन्द को छन्दों का…

Continue

Posted on May 31, 2011 at 8:19am — 9 Comments

प्यार करते हैं बेइन्तहा

प्यार करते हैं बेइन्तहा इम्तहां चाहे ले ले जहाँ।

हम ना होंगे जुदा जाने जाँ, हम हैं दो जिस्म और एक जां।।



चाँदनी चाँद में ज्यों बसी, फूल में है ज्यों मीठी हँसी।

त्योंही उर में बसी उर्वसी छोड़कर तुम ये सारा जहां।।



सुन हकीकत ऐ हुस्ने परी, मैं हूँ शायर हो तुम शायरी।

चश्मो दिल में हो कब से मेरी, कह नहीं सकती है ये जुबां।।



बिन पिये भी नहीं होश है क्या नशीला ये आगोश है।

जामे लब  में भरा जोश है, हैं मिलाये जमीं आसमां।।



मय मयस्सर हुई ही नहीं, हमको… Continue

Posted on May 27, 2011 at 8:46am — 1 Comment

Comment Wall (8 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:51am on September 16, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

At 9:30am on June 2, 2012, Admin said…

At 2:04pm on September 16, 2011, Rash Bihari Ravi said…

janamdin mubarak ho

At 11:20am on September 16, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 3:57pm on April 29, 2011, Dhanesh kumar said…
Bahut hi achhi rachana hai aapki.  padh ke man me deshbhakti ka naya jajba jag uthata hai par jab hamari apni hi sarkar sambandh sudharne aur dharmnirpechta ke naam pe aatankvadiyo ko tust kar rahi hai to man nirash ho jata hai.
At 7:11pm on April 18, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 8:59pm on April 15, 2011, PREETAM TIWARY(PREET) said…
At 7:47pm on April 15, 2011, Admin said…
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
22 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service