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हैं माँग रहे हम……
Posted on July 23, 2013 at 5:00pm — 14 Comments
ग़ज़ल लिखने का प्रयास
तसव्वुर जिसका देखा मैंने, हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो॥
रात पूनम, महताब जैसी, हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो॥
ऐसी ज़ुल्फ़ की छांव जैसे, घटा हों काली…
Posted on July 9, 2013 at 10:30am — 6 Comments
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Comment Wall (4 comments)
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Gazal ke bhaw wasatav me bahut hi sundar hain .. Aharnish Asheesh .. Bhai...
Swagat ..bhai..
आपकी आभारी हूँ आपने मित्र रूप में स्वीकार किया
Thanks to you, Abhishek ji, for extending your hand of friendship.
Vijay Nikore