2122 1212 22
दफ़अतन जो निकल गए आँसू।
सारे मंज़र बदल गए आँसू।।
लाख की कोशिशें छुपाने की।
राज़ दिल का उगल गए आँसू।।
इक ख़ुशी ने मुझे पुकारा है।
ये ख़बर सुन के जल गए आँसू।।
ख़ुश्क दामन तुझे बताऊँ क्या।
वो सबब जो सँभल गए आँसू।।
इत्तिफ़ाकन ही ख़ुश्क थीं पलकें।
इंतिकामन मचल गए आँसू।।
इक तबस्सुम जो आगया लब पर।
मारे ग़म के पिघल गए आँसू।।
कौन सा पल…
ContinuePosted on December 24, 2017 at 11:00am — 11 Comments
Posted on December 4, 2017 at 1:36pm — 20 Comments
Posted on November 7, 2017 at 1:00pm — 20 Comments
Posted on October 17, 2017 at 7:30pm — 10 Comments
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
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