For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Nand Kumar Sanmukhani
Share on Facebook MySpace

Nand Kumar Sanmukhani's Friends

  • योगराज प्रभाकर
 

Nand Kumar Sanmukhani's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
BHOPAL
Native Place
JAIPUR
Profession
RETIRED FROM BANK
About me
Associated with Hindi, Urdu and Sindhi (my mother tongue) literature as reader and writer particularly with Ghazals and Nazms. Also appeared in various News Papers as a feature writer and Page Editor with Nav Bharat (all editions) related with presentation of "Translation of Representative Writings of Sindhi Literature on Monthly basis" for more than 18 months in 1991-92. Worked with All India Radio, Bhopal as Casual Announcer of Weekly Sindhi programme for a period of about 10 years from 1987. Looking after responsibility of Editor of yearly Literary Magazine of Sindhi Sahitya Academy, Madhya Pradesh Sanskriti Parishad,Bhopal.

Nand Kumar Sanmukhani's Blog

ग़ज़ल

(122 122 122 122)

करोगे कहां तक सबब की वज़ाहत
अंधेरों की कब तक करोगे इबादत

यक़ीं रख के सर को झुकाते रहे हो
दिखाते रहे हो ये कैसी शराफ़त

नहीं ठीक है जो तुम्हारी नज़र में
उसी की ही करते रहे हो वकालत

नई प्रेम नदियां बहा दो जहां में
यहां पर दिखाओ ज़रा सी सख़ावत

भले ख्वाब हों पर हक़ीक़त बनेंगे
मिटेगी यहां नफरतों की रिवायत

.

- नंद कुमार सनमुखानी

- मौलिक और अप्रकाशित

Posted on May 3, 2018 at 9:00pm — 13 Comments

ग़ज़ल

लोकशाही क़माल है साहिब
लोक में ही बवाल है साहिब

काम इनके कभी नहीं रुकते
कौन इनका दलाल है साहिब

फिर से मिलने लगे हैं झुक झुक के
खेल करने का साल है साहिब

पूछने पर हमेशा कहते हैं
नेक सा ही ख़्याल है साहिब

अनगिनत हैं सवाल आंखों में
दिल में थोड़ा मलाल है साहिब

- -नंद कुमार सनमुखानी

"मौलिक व अप्रकाशित"

Posted on April 23, 2018 at 10:00am — 7 Comments

ग़ज़ल

सोने की बरसात करेगा
सूरज जब इफ़रात करेगा

बादल पानी बरसाएंगे
राजा जब ख़ैरात करेगा

जो पहले भी दोस्त नहीं था
वो तो फिर से घात करेगा

कुर्सी की चाहत में फिर वो
गड़बड़ कुछ हालात करेगा

जो संवेदनशील नहीं वो
फिर घायल जज़्बात करेगा

जो थोड़ा दीवाना है वो
अक्सर हक़ की बात करेगा

नंद कुमार सनमुखानी.
-
"मौलिक और अप्रकाशित"

Posted on April 23, 2018 at 10:00am — 21 Comments

ग़ज़ल

ख़ामोश रहें तो भी मुश्किल
कुछ बात कहें तो भी मुश्किल..

जो राज़ छुपे हैं सीने में
खुल जाएं तहें, तो भी मुश्किल..

वादा था किया ख़ुश रहने का
आंसूं जो बहें तो भी मुश्किल..

वो दर्द मुसलसल दें चाहे
हम दर्द सहें तो भी मुश्किल ..

विपरीत बहें हम धारों के
जो साथ बहें तो भी मुश्किल ..

- नंद कुमार सनमुखानी

"मौलिक और अप्रकाशित"

Posted on April 23, 2018 at 10:00am — 11 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service