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Ajay Agyat's Blog – January 2014 Archive (3)

ऐ खुदा मुझ को भी तेरी मेहरबानी चाहिए

ऐ खुदा मुझ को भी तेरी मेहरबानी चाहिए 

इक महकते गुल की जैसी ज़िंदगानी चाहिए 



मुझ को लंबी उम्र की हरगिज नहीं है आरज़ू 

जब तलक है जिंदगी ,मुझको जवानी चाहिए 



मैं समंदर तो नहीं जो उम्र भर ठहरा रहूँ 

एक दरया की तरह मुझ को रवानी चाहिए ...

परवरिश बच्चों की करना , फर्ज़ है माँ बाप का  

सच की हरदम राह भी उन को दिखानी चाहिए 

आज के अखबार का यह कह रहा है राशि…

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Added by Ajay Agyat on January 12, 2014 at 5:00pm — 15 Comments

ग़ज़ल (ज़िंदगी के यज्ञ में खुद को हवन करना पड़ा)

ज़िंदगी के यज्ञ में खुद को हवन करना पड़ा 

आंसुओं से ज़िंदगीभर आचमन करना पड़ा....



मंज़िलों से दूरियाँ जब ,कम नहीं होती दिखीं 

क्या कमी थी कोशिशों में,आंकलन करना पड़ा .....



ऐसे ही पायी नहीं थी देश ने स्वतन्त्रता 

इस को पाने के लिए क्या क्या जतन करना पड़ा ...



जाने मुंसिफ़ की भला थी कौन सी मजबूरियां 

फैसला हक़ में मेरे जो दफ़अतन करना…

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Added by Ajay Agyat on January 11, 2014 at 7:00pm — 16 Comments

ग़ज़ल (अजय अज्ञात)

करें हम हमेशा ही उनकी इबादत 

ये जीवन हमारा है जिनकी बदौलत... 



नहीं कोई सानी है माता पिता का

यकीनन ये करते हैं दिल से मुहब्बत... 



चरण छू लो इनके, मिलेंगी दुआएं 

इन्हें देखने भर से होती जियारत ... 



सही मायने में यही देवता हैं 

यही पूरी करते हमारी ज़रूरत ...…

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Added by Ajay Agyat on January 9, 2014 at 9:00pm — 16 Comments

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