मुखतलिफ़ शेर ....
.
लाख कोशिश कर ले इंसा कुछ नहीं कर पाएगा
मौत की जद में किसी दिन जिंदगी आ जाएगी
इबादत करना चाहो गर खुदा की तुम हकीकत में
मुहब्बत के चिरागों को कभी बुझने नहीं देना ...
आधे अधूरे रह गए हैं ख्वाब इस लिए
इल्ज़ाम दे रहे हैं वो अपने नसीब को .....
रायगां बहने नहीं देता इन्हें
अपने अशकों से वुजू करता हूँ मैं ....
दिया मुझ को मेरी किस्मत ने सब कुछ
मगर तेरी कमी अब भी है बाकी….
मेरे लफ़्ज़ों में खुशबू है मेरा लहजा भी शीरी है
मुझे हासिल है फ़न तहजीब से अशआर कहने का…..
ख्वाब जिस के रात दिन, देखे थे मैंने दोस्तो
दर्दे दिल की लौ जला, वो दूर क्यूँ मुझ से हुआ .....
तक़दीर खुद सँवारता है अपने हाथ से
अज्ञात ने नसीब से मिन्नत कभी न की ..
अजय उगने न पाये अब कहीं बारूद खेतों में
अमन के वास्ते आओ ज़मीं में ख़ुशबुएँ बोएँ ....
मैं इक अदना सा खादिम हूँ ग़ज़ल का
मेरे अशआर हैं पहचान मेरी ...
मेरी माँ की दुआएं ही हमेशा
बचाती हैं मुझे बर्कों बला से
ज़ेहन में जिसके मची रहती हो हरदम खलबली
मयकदों या बुतकदों में कैसे पाए वो सुकूँ ....
बेशक खाओ पाँच सितारे होटल में
स्वाद अलग ही होता है लंगर में कुछ ....
.
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
बहुत ही सुंदर रचना.................................
बहुत ही सुंदर
बहुत खूबसूरत अशआर आ० अजय शर्मा जी
हार्दिक बधाई
आधे अधूरे रह गए हैं ख्वाब इस लिए
इल्ज़ाम दे रहे हैं वो अपने नसीब को ...बहुत सुंदर.
सभी अशआर सुन्दर हैं आदरणीय बधाई स्वीकारें.
अच्छी रचना !
आ0 अजय भाई जी, अजीज और लजीज अशआर। तहेदिल से दाद कुबूल करें। सादर,
//रायगां बहने नहीं देता इन्हें
अपने अशकों से वुजू करता हूँ मैं ....//
वाह वाह वाह !!! क्या कहने हैं इस शेअर के अजय कुमार शर्मा साहिब,
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online