For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुखतलिफ़ शेर .... 

.

लाख कोशिश कर ले इंसा कुछ नहीं कर पाएगा
मौत की जद में किसी दिन जिंदगी आ जाएगी

इबादत करना चाहो गर खुदा की तुम हकीकत में
मुहब्बत के चिरागों को कभी बुझने नहीं देना ...

आधे अधूरे रह गए हैं ख्वाब इस लिए 
इल्ज़ाम दे रहे हैं वो अपने नसीब को .....

 

रायगां बहने नहीं देता इन्हें 
अपने अशकों से वुजू करता हूँ मैं ....

 

दिया मुझ को मेरी किस्मत ने सब कुछ
मगर तेरी कमी अब भी है बाकी….

 

मेरे लफ़्ज़ों में खुशबू है मेरा लहजा भी शीरी है
मुझे हासिल है फ़न तहजीब से अशआर  कहने का…..

 

ख्वाब जिस के रात दिन, देखे थे मैंने दोस्तो 
दर्दे दिल की लौ जला, वो दूर क्यूँ मुझ से हुआ .....

तक़दीर खुद सँवारता है अपने हाथ से 
अज्ञात ने नसीब से मिन्नत कभी न की ..

अजय उगने न पाये अब कहीं बारूद खेतों में 
अमन के वास्ते आओ ज़मीं में ख़ुशबुएँ बोएँ ....

मैं इक अदना सा खादिम हूँ ग़ज़ल का 
मेरे अशआर हैं पहचान मेरी ...

मेरी माँ की दुआएं ही हमेशा 
बचाती हैं मुझे बर्कों बला से 

ज़ेहन में जिसके मची रहती हो हरदम खलबली 
मयकदों या बुतकदों में कैसे पाए वो सुकूँ ....

बेशक खाओ पाँच सितारे होटल में
स्वाद अलग ही होता है लंगर में कुछ ....

.

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 527

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on June 29, 2013 at 4:52pm

बहुत ही सुंदर  रचना.................................

Comment by Sumit Naithani on June 28, 2013 at 4:01pm

बहुत ही सुंदर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 27, 2013 at 7:47pm

बहुत खूबसूरत अशआर आ० अजय शर्मा जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by coontee mukerji on June 27, 2013 at 4:50pm

आधे अधूरे रह गए हैं ख्वाब इस लिए 
इल्ज़ाम दे रहे हैं वो अपने नसीब को ...बहुत सुंदर.

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 12:48pm

सभी अशआर सुन्दर हैं आदरणीय बधाई स्वीकारें.

CTRL + Q to Enable/Disable GoPhoto.it
CTRL + Q to Enable/Disable GoPhoto.it
Comment by aman kumar on June 27, 2013 at 11:27am

अच्छी रचना ! 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 26, 2013 at 11:07pm

आ0 अजय भाई जी,  अजीज और लजीज अशआर।  तहेदिल से दाद कुबूल करें।  सादर,


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 26, 2013 at 9:34pm

//रायगां बहने नहीं देता इन्हें 
अपने अशकों से वुजू करता हूँ मैं ....//

वाह वाह वाह !!! क्या कहने हैं इस शेअर के अजय कुमार शर्मा साहिब,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
19 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
19 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
yesterday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service