घबरा जाता हूँ में
जब वो दिन याद आते हैं
पीड़ा के वो पल
टूट कर बिखर गया था में जब
वो रोज आँखें नम होना
वो हर हर बात पर आने वाली सिसकी
वो फूंक फूंक कर क़दमों को बढ़ाना
वो लाचार जिंदगी
रास्ते में पड़ा पत्थर जिसकी तकदीर का कोई पता नहीं
जाने कब कोई ठोकर मारकर आगे चल पड़े
जैसे उसका कोई वजूद ही नहीं
अपने अंजाम से बेखबर
वो छोटी छोटी चीज़ों का ध्यान रखना
वो बिस्तर पर पड़े रहकर रोज सोचते…
ContinueAdded by Bhasker Agrawal on January 22, 2011 at 3:16pm — 2 Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 18, 2011 at 11:50am — No Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 17, 2011 at 11:58am — No Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 15, 2011 at 2:00pm — 2 Comments
में रोज जब घर से निकलता हूँ
तो खुला आसमान दिखता है
जैसे कि वो अपनी अनन्तता में
मेरा स्वागत कर रहा हो,
हवाएं मेरे बालों को सहलाती,
पंछी गीत गाते मुझे सुकून देते हैं
जमीन मेरा बोझ उठाकर
मुझे सम्हाले रखती है,
ये इनका रोज का नियम है ,
उनका प्रेम है जो, कभी कम नहीं होता
शायद वो अपना धर्म नहीं जानते ,
वरना मुझे छोड़ आपस में ही
वाद विवाद में उलझे होते,
या फिर शायद वो अपना…
ContinueAdded by Bhasker Agrawal on January 14, 2011 at 10:00am — 5 Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 13, 2011 at 9:56am — 5 Comments
कभी तो मेरी बेकरारी को देख लो
कहीं वक्त बीत न जाये नज़रें चुराने में
सहन होती है तन्हाई जिन्हें और गम नहीं जुदाई का
ऐसे दिलफेंक आशिक कहाँ मिलते हैं ज़माने में
मेरी नामोजूदगी को मेरी बेवफाई न समझना
नज़र आएगी मेरी चाहत मेरे बहाने में
रो कर लिपट जाती हो तुम…
ContinueAdded by Bhasker Agrawal on January 12, 2011 at 12:11pm — 3 Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 7, 2011 at 8:52pm — 2 Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 6, 2011 at 6:12pm — 2 Comments
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