शरद ऋतु गीत
झम झम रिमझिम पावस बीता
अब गीले पथ सब सूख गए
गगन छोर सब सूने सूने
परदेश मेघ जा बिसर गए
हरियावल पर चुपके चुपके
पीताभा देखो पसर गई
हौले हौले ठसक दिखा कर
चंचल चलती पुरवाई है -
लो! शरद ऋतु उतर आई है I
दशहरा, नवरात्र, दीवाली
छठ, दे दे खुशियाँ बीत गए
पक कट गए मकई बाजरा
पीले पीले भी हुए धान
रातें भी बढ़ कर हुईं लम्बी
घटते घटते गए दिनमान
विरहन का तन मन डोल रहा
खुद खुद से ही कुछ बोल…
Added by कंवर करतार on January 8, 2018 at 10:00pm — 11 Comments
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