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Shyam Narain Verma's Blog – January 2013 Archive (2)

देश हमारा

देश हमारा

देश हमारा कितना प्यारा , बोलें सब मीठी बोली ।

हिन्दू मुस्लिम भाई भाई  , सब  मिलकर खेलें होली ।

बहती रहतीं पावन  नदियाँ , सबकी भरतीं हैं झोली ।

हरे भरे फसल उगाकर ही , लोग मानते रंगोली ।

मुकुट  जिसका हिमालय जैसा , ऐसा देश हमारा है ।

जिसका पांव पाखरे निसदिन , हिन्द सागर की धारा है ।

वेष  भूषा अलग अलग है , अलग अलग ही है बोली ।

सभी लोग आदर करते हैं , एक रहे  चाहे टोली  ।

देश की शान पर  मरते हैं , ऐसा देश हमारा है ।

विश्व विजयी तिरंगा झंडा  , हम…

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Added by Shyam Narain Verma on January 30, 2013 at 2:40pm — 4 Comments

देख बहे अश्कों की धारा , जब चली गुड़िया हमारी !

अकेल शेरनी
देख बहे अश्कों की धारा , जब चली गुड़िया हमारी !
दूर अकेल रहेगी कैसे , आँखों की पुतली हमारी !
माँ बाप को घर में छोड़कर , सपने ले चली दुलारी !
यों मिलती रही कामयाबी , खिलती जाती फुलवारी !
जब कामयाब हो कर  निकली , बैरी राहों में आये !
देख कर अकेल शेरनी को , राहों में जाल बिछाए !
तडपती रही शिकार बनकर , बेबस पर  रहम न आये !
वर्मा  गयी वो इस दुनिया से , कैसे आंसू ना  आये !
श्याम नारायण वर्मा

Added by Shyam Narain Verma on January 4, 2013 at 2:31pm — 2 Comments

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