कहते हैं देख लेता है नजरों के पार तू
मेरी तरफ भी देख जरा एक बार तू
हर बार मान लेता हूं तेरी रजा को मैं
हर बार तोड़ता है मेरा एतबार तू
करने से मेरे कुछ नहीं होना अगर तो
अहसासे बेनियाजी दे मुझ में उतार तू
सूनी पड़ी है तेरे बिना दिल की महफिलें
दो पल तो इस दयार में आकर गुजार तू
मेरी रगों में भर गई है कितनी उलझनें
है थोड़ा सा चैन दे भी दे मुझको उधार तू
मेरी पुकार में नहीं है असलियत कोई
या फिर…
Added by मनोज अहसास on January 21, 2019 at 10:05pm — 4 Comments
एक ताज़ा ग़ज़ल
1222 1222 1222 1222
उदासी घिर के आई है चलो फिर कुछ नया कह दें
पलक को बेवफा कह दें या पैसे को खुदा कह दें
यहाँ से टूट कर जुड़ना नहीं मुमकिन मगर फिर भी
चलो एक बार फिर से आंसुओं को अलविदा कह दें
समंदर सी बड़ी नाकामियां है सामने अपने
ये सोचा है कि अपना नाम मिट्टी पर लिखा कह दें
तुम्हारे आने की उम्मीद की भी क्या जरूरत है
हमें ही लोग शायद कुछ दिनों में जा चुका कह दें
ये धड़कन…
ContinueAdded by मनोज अहसास on January 19, 2019 at 10:39pm — 4 Comments
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