२१२२ २१२२ २१२२२
रहनुमा वो कह गया है क्या इशारों में
चारसू उठता धुंआ ही अब नजारों में
धुंध कुछ छाई है ऐसी अब फलक पे यूं
रोशनी मद्दिम सी लगती चाँद तारों में
साजिशों की आ रही है हर तरफ से बू
छुप के बैठी हैं खिजाएँ अब बहारों में
खेलते जो लोग थे तूफाँ में लहरों से
वक़्त ने उनको धकेला है किनारों में
है नहीं महफूज दुल्हन डोलियों में अब
क्या पता अहबाब ही हों इन…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on January 28, 2015 at 2:11pm — 17 Comments
२१२/ २१२/ २१२ /२१२
आँधियों में ही दीपक जलाते हैं हम
आहिनी हैं इरादे दिखाते हैं हम
आपको देखते देखते क्या हुआ!
आईये दिल की धड़कन सुनाते हैं हम
चाँद के सामने चाँद कैसा लगे
सोच कर भी न कुछ सोच पाते हैं हम
आईने पर हमारी नजर जब पडी
सोच कर हंस दिए क्या छुपाते हैं हम
बेबफा ही सही प्यार तो प्यार है
याद आता है जितना भुलाते हैं हम
दोस्तों पे यकी आज भी है हमें
दोस्ती की…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on January 2, 2015 at 5:39pm — 23 Comments
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