पहले मौत दे, फिर जिंदगानी कौन देता है
मुकम्मल हो सके ऐसी कहानी कौन देता है,
यहां तालाब और नदियां कई बरसों से सूखी हैं
खुदा जाने कि पीने को ये पानी कौन देता है,
हमें तो जिंदगी ठहरी हुई इक झील लगती है
मगर हर वक्त दरिया को रवानी कौन देता है,
जमीं से आसमां तक का सफर हम कर चुके लेकिन
नहीं मालूम मंजिल की निशानी कौन देता है,
परिंदे जानते हैं ये कि पर कटने का खतरा है
इन्हें फिर हौसला ये आसमानी कौन देता…
Added by atul kushwah on January 17, 2014 at 9:30pm — 15 Comments
Added by atul kushwah on January 15, 2014 at 8:30pm — 9 Comments
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