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आ.रमेश जी, इस बच्चे का उत्साह बढाने के लिए हार्दिक आभार। सादर— अतुल
शब्द एवं भाव अच्छे है, गुरूजनों के सलाह पर अवश्य ध्यान दे । इस प्रस्तुति के लिये बधाई
तेरी खामोशियों के लफ्ज जब कानों में पड़ते हैं.
ये सांसें रोक लूं पर धडकनें रोकी नहीं जातीं.
वाह.… बहुत खूब अतुल जी !
Adarneeya Ajay ji, Annapurna ji, Giriraj ji, Coontee ji and Saurabh sir...hausala badhane aur margdarshan ke liye aabhar...Sadar...Atul
रुमानी भावों को शब्दबद्ध करने का साग्रह प्रयास हुआ है. विधान आदि के प्रति भी आग्रही हों, रचनाओं की सार्थकता बढ़ेगी.
शुभकामनाएँ.
बहुत सुंदर......
आदरणीय अतुल भाई , सुन्दर गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥ आदरणीय बह्र लिख देने से हम सीखने वालों को समझने मे आसानी होती है ॥
सुंदर गजल , बधाई आपको ।
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