शीत के मौसम से मच रही गदर है
इक्का-दुक्का ही कोई आता नजर है l
जमी बर्फ जमीं पे खामोश सा शहर है
पंछी ना चहका कोई ठूँठ हर शजर है l
होता बहुत मुश्किल निकलना घरों से
हाथ में दस्ताने और गले में मफलर है l
कांपती सी दिखती हर दूर तक डगर है
लोग बुत से चलते फिसलने का डर है l
बिन फूल-पात दिखते हैं पेड़ नंगे सारे
बस बर्फ के फूलों से ढका हुआ सर है l
दूब पर सफेदी चमकती है रजत जैसी
झुक रहे हैं तरु और धुंधली सी सहर है l
-शन्नो…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on January 20, 2013 at 6:00pm — 10 Comments
पथराया सा आसमां
इंतज़ार कर रहा है.....
तूफानी हवाओं में
सफेद बर्फ के फूल
नंगी निर्जीव टहनियों पर
कफ़न से रहे हैं झूल l
तूफान के रुकने पर
सूरज के निकलते ही
ये मोम से पिघलकर
बन जायेंगे धूल l
पथराया सा आसमां
इंतज़ार कर रहा है.....
-शन्नो अग्रवाल
Added by Shanno Aggarwal on January 16, 2013 at 6:30am — 9 Comments
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