वसन्त
उषा अवस्थी
पतझड़ हुआ विराग का
खिले मिलन के फूल
प्रेम, त्याग, आनन्द की
चली पवन अनुकूल
चिन्ता, भय,और शोक का
मिटा शीत अवसाद
शान्ति, धैर्य, सन्तोष संग
प्रकटा प्रेम प्रसाद
सरस नेह सरसों खिली
अन्तर भरे उमंग
पीत वसन की ओढ़नी,
थिर सब हुईं तरंग
शिव शक्ती का यह मिलन,
अद्भुत, अगम, अनन्त
गति मति…
ContinueAdded by Usha Awasthi on January 25, 2023 at 6:35pm — 5 Comments
उषा अवस्थी
सबकी अलग देनदारियां हैं
जीवन-नदिया में,
कर्म-नौका पर सवार
सुख-दुख से उत्पन्न
अपरिहार्य लहरें
सहने की मजबूरियां हैं
जब तरंगे "सम" पर आती हैं
पहुँचाती हैं सहजता से
इच्छित गन्तव्य तक
समस्त उलझनों के पार
कराती हैं, स्वयं से स्वयं का
"साक्षात्कार"
प्रकृति आईना दिखाने को सन्नद्ध है
नियमों से आबद्ध है
जो अपना धर्म
सदैव निभाती है
"मैं"…
ContinueAdded by Usha Awasthi on January 21, 2023 at 6:57pm — 6 Comments
उषा अवस्थी
"नग्नता" सौन्दर्य का पर्याय
बनती जा रही है
फिल्म चलने का बड़ा आधार
बनती जा रही है
"तन मेरा मैं
जो भी चाहे सो करूँ"
की विषैली सोच का उन्माद
गहती जा रही है
आधुनिकता शब्द का
नव अर्थ गढ़
संक्रमण का बीज धरती पर
सतत बिखरा रही है
मार्ग मध्यम छोड़कर
है दिन-ब-दिन
अमर्यादित आचरण
विस्तार करती जा रही है
"नग्नता" सौन्दर्र का…
ContinueAdded by Usha Awasthi on January 7, 2023 at 11:30am — 4 Comments
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