2122 2122 212
जब हमें दिल का लगाना आ गया
राह में देखो ज़माना आ गया
ख़त तुम्हारा देखकर बोले सभी
खुशबू का झोंका सुहाना आ गया
इक पता लेके पता पूंछे चलो
बात करने का बहाना आ गया
नाम तेरा जपते जपते यूँ लगे
अब तुझे ही गुनगुनाना आ गया
ज़िन्दगी रफ़्तार में चलती रही
मौत बोली अब ठिकाना आ गया
बेरुखी ने ही दिखाया गई हमें
फूल पत्थर पर चढ़ाना आ गया
शख्स इक गुमनाम देखा बोले सब
शहर में…
Added by gumnaam pithoragarhi on January 30, 2015 at 8:00am — 14 Comments
२१२ २१२ २१२
वो वफ़ा जानता ही नहीं
इस खता की सजा ही नहीं
फिर वही रोज जीने की जिद
जीस्त का पर पता ही नहीं
शहर है पागलों से भरा
इक दिवाना दिखा ही नहीं
पूजता हूँ तुझे इस तरह
गो जहां में खुदा ही नहीं
खा गए थे सड़क हादसे
सारे घर को पता ही नहीं
मौलिक व अप्रकाशित
गुमनाम पिथौरागढ़ी
Added by gumnaam pithoragarhi on January 26, 2015 at 8:30pm — 20 Comments
चादर झीनी देख कबीरा
मैली ओढ़ी देख कबीरा
जीना मरना सब साथ चले
काया साझी देख कबीरा
ईश भगत का रिश्ता ऐसा
भूखा रोटी देख कबीरा
ऊँच नीच का अंतर कैसा
काया माटी देख कबीरा
यम इक राजा मिलना चाहे
आत्मा रानी देख कबीरा
मौलिक व अप्रकाशित
गुमनाम पिथौरागढ़ी
आपके सुझाओं व समालोचना की प्रतीक्षा में ......
Added by gumnaam pithoragarhi on January 23, 2015 at 7:29pm — 14 Comments
२१२ २१२ २२
गम तुम्हारा नहीं होता
तो गुजारा नहीं होता
लूटते प्यासे ये सागर
गर ये खारा नहीं होता
मौत तेरे बुलावे से
अब किनारा नहीं होता
तेरी सौगात है वरना
जख्म प्यारा नहीं होता
है खुदा साथ जिसके वो
बेसहारा नहीं होता
मौलिक व अप्रकाशित
गुमनाम पिथौरागढ़ी
Added by gumnaam pithoragarhi on January 19, 2015 at 8:30pm — 17 Comments
212 212 22
ज़िन्दगी अपनी छोटी है
बस जरा सी ये खोटी है
हादसों को बुरा मत कह
यार मेरा लंगोटी है
चाँद कहते महल वाले
झोपड़ी कहती रोटी है
इस सियासत की चौपड़ में
स्वार्थ की फैली गोटी है
झूठ की सत्य की देखो /p>
हो गई बोटी बोटी है
मौलिक व अप्रकाशित
गुमनाम पिथौरागगढ़ी
Added by gumnaam pithoragarhi on January 14, 2015 at 6:30pm — 10 Comments
२२२१
ये अखबार
सच बीमार
कैसा धर्म
गो,तलवार
सच की राह
है दुश्वार
मरघट देगा
रिश्तेदार
आ ऐ मौत
कर उद्धार
जग गुमनाम
किसका यार
मौलिक व अप्रकाशित
आपकी समालोचना की प्रतीक्षा है
Added by gumnaam pithoragarhi on January 11, 2015 at 11:53am — 12 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |