शीत जैसे जम गयी,
नम धूप लगती है।
ठिठुरते रात भर
सार में सारे ही पशु
भोर कि शाला में
ठिठुरते सारे ही शिशु,
फिजां रंगीन दिखे
मन रूप लगती…
ContinueAdded by Ashok Kumar Raktale on January 30, 2013 at 2:00pm — 16 Comments
मकर संक्रांति पर्व है,बीस तेरहा साल,
संगम घाट प्रयाग का,बजे शंख अरु थाल/
शाही सवारी चलती,होती जय जयकार,
चलते साधू संत है, करें अजब श्रृंगार/
प्रथम शाही स्नान करे, महाकुम्भ शुरुआत,
साधू संत नहा रहे,क्या दिन अरु क्या रात/
भीड़ भरे पंडाल हैं,गूंजे प्रवचन हाल,
श्रोता शिक्षा पा रहे,झुका रहे हैं भाल/
जुटे कोटिशः जन यहाँ,लेकर उर आनंद,
पाय रहे प्रसाद सभी, खाएं परमानंद/
Added by Ashok Kumar Raktale on January 14, 2013 at 9:00am — 16 Comments
हाईकू (१७ वर्ण, ५,७,५.)
भारतवर्ष
नारी देवी रुप है,
देवों में आस्था.
...........
तुम युवा हो,
माताएं व्यथित हैं,
सोना मना है,
..............
यौन शोषण,
सब संकल्प करें,
अब फांसी दो.
...........
पुलिस हा हा..
नारी असुरक्षित,
सब सुधरें.
..........
सभ्य समाज,
यह भी संभव है,
प्रण कर लें.
...............
बीता बरस,
युवा जाग गया है,
उम्मीद…
Added by Ashok Kumar Raktale on January 6, 2013 at 7:00pm — 9 Comments
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