212 2112 2112 222
सू ए मंजिल तुझे हर हाल में जाना होगा|
आज तन्हा है तो कल साथ ज़माना होगा|
मैं तो दुश्मन हूँ भला पीठ पे कैसे मारूं
इस लिए दोस्त तुझे दोस्त बनाना होगा |
जाग उठते है मेरे मन में सवालात कई
हर किसी दर पे न अब सर को झुकाना होगा |
एक दिन देखना छिड़केंगे नमक ज़ख्मों पर
शर्त है ज़ख्म सब अपनों को दिखाना होगा|
फ़ितनागर लोग ज़माने में बहुत देखे हैं,
हर किसी को न यहाँ दोस्त बनाना…
Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on January 30, 2017 at 8:00pm — 9 Comments
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