1212 - 1122 - 1212 - 22
घटा ग़मों की वही दिल पे छा गई फिर से
वो दास्तान ज़ुबाँ पर जो आ गई फिर से
ये उम्र कैसे कटेगी कहाँ बसर होगी
अँधेरी रात की जाने न कब सहर होगी
शिकस्त सारी उमीदें मिटा गई फिर से
घटा ग़मों की वही दिल पे छा गई फिर से
मुझे गुमाँ भी नहीं था हबीब बदलेगा
बदल गया है मगर, यूँ नसीब बदलेगा?
बहार बनके ख़िज़ाँ ही जला गई फिर से
घटा ग़मों की वही दिल पे छा गई फिर…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 22, 2021 at 8:30am — 6 Comments
2122 - 1122 - 112
कब से बैठे हैं तेरे दर पे सनम
अब तो हो जाए महरबान करम......1
ग़ैर समझो न हमें यार सुनो
हम तुम्हारे हैं तुम्हारे ही थे हम....... 2
बात चाहे न मेरी मानो, सुनो!
कीलें राहों में उगाओ न सनम....... 3
देके हमको भी अज़ीयत ये सुनो
दर्द तुमको भी तो होगा नहीं कम... 4
हम भी इन्सान हैं समझो तो ज़रा
देखो अच्छे नहीं इतने भी सितम....5
जिस्म से जान जुदा होती…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 15, 2021 at 9:32pm — 5 Comments
2212 - 1222 - 212 - 122
इक है ज़मीं हमारी इक आसमाँ हमारा
इक है ये इक रहेगा भारत हमारा प्यारा
हिन्दू हों या कि मुस्लिम सारे हैं भाई-भाई
होंगे न अब कभी भी तक़्सीम हम दुबारा
यौम-ए-जम्हूरियत पर ख़ुशियाँ मना रहे हैं
हासिल शरफ़ जो है ये, ख़ूँ भी बहा हमारा
अपने शहीदों को तुम हरगिज़ न भूल जाना
यादों को दिल में उनकी रखना जवाँ…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 6, 2021 at 7:27pm — 5 Comments
2212 - 1222 - 212 - 122
दामन बचा के हमने दिल पर उठाए ग़म भी
बेदाग़ हो गये हैं सब कुछ लुटा के हम भी
कुछ ख़्वाब थे हसीं कुछ अरमाँ थे प्यारे प्यारे
अहल-ए-वफ़ा से तालिब थे तो वफ़ा के हम भी
उस शख़्स-ए-बावफ़ा से सबने वफ़ा ही पाई
ये बात और है के हम को मिले हैं ग़म भी
गर्दिश में हूँ अगरचे रौशन है दिल की महफ़िल
लब ख़ुश्क़ हैं तो क्या है आँखे हैं मेरी नम भी
ज़ुल्फ़ों की छाँव मिलती पलकों का साया…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 2, 2021 at 11:28pm — 6 Comments
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