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Janki wahie's Blog – February 2016 Archive (3)

दुकानदारी (लघुकथा ) जानकी बिष्ट वाही

" रॉय जी ! मुझे नायर जी ने बताया कि आप भी शिक्षा के क्षेत्र में बिजनेस करना चाहते हैं।"

 " जी हाँ, आप से इसी बारे में बात करनी है।आप दो- दो इंजिनियरिंग कॉलेज और एक मेडिकल कॉलेज चला रहे हैं।आपको काफी अनुभव होगा।"

 " रॉय जी ! इंजीनियरिंग कॉलेज खोलना अब घाटे का सौदा है।मेरे ही दोनों कॉलेज में इस साल दो हज़ार सीटें खाली हैं ।समझ नहीं आ रहा लोगों को अब क्या हो गया।पहले तो हर माँ -बाप अपने बेटे को इंजीनियर बनाना चाहते थे। " गुप्ता जी ने दीवार पर लगे गांधी जी की तस्वीर पर एक नज़र डालते…

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Added by Janki wahie on February 10, 2016 at 12:00pm — 8 Comments

विस्थापित लघु कथा - जानकी बिष्ट वाही

चिता की नारंगी लपटें चटख धूप में एकसार हो रही हैं। दूर गाँव से आये पण्डित ने, जिसे ज़मील अहमद सरपंच बड़ी मुश्किल से समझा-बुझा कर लाया था। श्लोक पढ़ा-



" 'नैनं छिन्दति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः'।"

गाँव वालों हाथ में चीड़ की पत्तियाँ पकड़े, ग़मगीन आँखों से गाँव में बचे एक मात्र हिन्दू, पण्डित श्यामनारायण को पंचतत्व में विलीन होते देख रहे हैं।86 वर्ष के मोह के बाद आज़ वे सारे रिश्तों से मुक्त हो गए।



कौन से रिश्ते ? उनके नाते-रिश्तेदार,भाई -बहनऔर दोनों बेटे -बहुएं तो… Continue

Added by Janki wahie on February 5, 2016 at 1:33pm — 10 Comments

दिल की बात ( जानकी बिष्ट वाही )

" माँ ! आप मुझे ज़रा भी प्यार नहीं करती । शौर्य ने उलाहना देते हुए कहा।

" ऐसे क्यों बोला मेरे लाल ?"

" क्योंकि आप हमेशा अबीर,आनिया और मेहुल की तारीफ़ करती रहती हो।" नीली आँखों में नमी तैर आई।

" आप तो मेरे राजकुमार हैं ।" मीता ने शौर्य को गले से लगा लिया ।

"माँ ! आप हमेशा कहती हो अबीर पढ़ने में अच्छा है।आनिया की ड्रॉइंग बहुत अच्छी है। मेहुल तीन बार दूध पीता है।मैं उनके जैसा नहीं हूँ ।गन्दा बच्चा हूँ ना ?

"ऐसी बातें नहीं करते , नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा । आप तो मेरे…

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Added by Janki wahie on February 4, 2016 at 12:00pm — 18 Comments

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