22 22 22 22 22 2
पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं।
उनके मन में भी सौ अजगर बैठे हैं।
'ए' की बेटी, 'बी' का बेटा, 'सी' की सास,
दुनियाभर का ठेका लेकर बैठे हैं।
कहाँ दिखाई देती हैं अब वो रस्में,
भाभीमाँ की गोद में देवर बैठे हैं।
मैं दरवाज़े पर ताला जड़ आया हूँ,
दुश्मन घर में घात लगाकर बैठे हैं।
अब हम सब सीसीटीवी की ज़द में हैं,
चित्रगुप्त कब खाते लेकर बैठे हैं।
अदबी…
ContinueAdded by Balram Dhakar on February 1, 2023 at 11:00pm — 8 Comments
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