माटी कहे कुम्हार से,
मुझको दे ऐसा आकार,
फिर न चक्का चढू कभी,
मिलूं संग निराकार ...
मुझे रंग दे नाम के रंग में,
पकुं मै तप की अगन में ,
सांचा ऐसा लादे मुझको ,
ढल जाऊं मै सत्कर्म में...
चिकना इतना करदे मुझे,
माया टिके न कोई इसपे,
घट ही में अविनाशी सधे,
हो जोत अंदर परकाशी रे ...
जग तारन कारण देह धरे,
सत्कर्म करे जग पाप हरे,
चित्त न डगमग मेरा डोले,
ध्यान तेरे…
ContinueAdded by Aarti Sharma on February 23, 2013 at 8:00pm — 22 Comments
बातों से भी ये गम क्यूँ कम नही होते,
आंसुओ से दिल के कोने नम नही होते.
थी बहुत उम्मीद तो अपनों से इस दिल को कभी,
पर हमेशा साथ ये हमदम नही होते...
बेबसी हंसने लगी ख़ामोशी अब है गूंजती,
बंद कमरों में कभी कोई मौसम नही होते.
जहाँ ख़ुशी वहां खिलती मन की हर कली,
उन घरानों में क्या कभी मातम नही होते... …
ContinueAdded by Aarti Sharma on February 17, 2013 at 10:30pm — 30 Comments
करुणा निधान माया तेरी.
करूं गुणगान किस मुख से
कैसे करूँ बखान हस्ती तेरी...
मै नादान, माया तेरी
समझ न पाई छाया तेरी
कण कण तू, ज़र्रे ज़र्रे तू
है पत्ते पत्ते झांकी तेरी...
भवरा भी तू,और फूल भी
जीवन बगिया महकी मेरी
कर नूर तेरे की बारिश से
तर…
ContinueAdded by Aarti Sharma on February 15, 2013 at 2:00pm — 14 Comments
हुई गया प्रभु से मिलनवा
सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा ...
लख चुरासी तूने नरक बिताया
प्रभु नाम तूने कभी नही ध्याया
अब लिया देह में जन्मवा
सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा ...
आठों पहर किनी चुगली निंन्दवा
कानों में घोला विष का प्याल्वा
अब पाया प्रभु का चिन्तनवा
सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा ...
जन्म डुबोई तूने भोग में रसनवा
कड़वी वाणी बोली कड़वा वचनवा
अब पाया राम नाम का प्रसादवा
सुन रे अनाड़ी…
ContinueAdded by Aarti Sharma on February 3, 2013 at 7:16pm — 15 Comments
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