चला जा रहा हूँ इस निर्जन पथ पर
अनजानी डगर है मंजिल अनजान
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
...........................................
आँधियों के थपेड़ो ने डराया मुझको
गरजते बादलो ने दहलाया दिल को
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
..........................................
भटक रहा कब से पथरीली राहों पर
पथिक हूँ अनजान कंटीली राहों का
फिर भी मै उस ओर पग बढ़ा रहा हूँ
............................................
आसन नही चलना हो कर जख्मी…
Added by Rekha Joshi on February 23, 2013 at 3:20pm — 7 Comments
प्रियतम मेरे
Added by Rekha Joshi on February 16, 2013 at 11:30pm — 21 Comments
चमक रही
सूरज की तरह
पीली सरसों
...............
बिखर गई
खुशिया सब ओर
आया बसंत
................
लाल गुलाबी
रंग बिरंगे फूल
लाया बसंत
.................
बगिया मेरी
महक उठी आज
आया बसंत
..............
नमन तुझे
दो मुझे वरदान
माता सरस्वती
मौलिक और अप्रकाशित रचना
Added by Rekha Joshi on February 12, 2013 at 4:43pm — 9 Comments
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