2122 1212 22
बोल देती है बेज़ुबानी भी,
ख़ामशी के कई म'आनी भी,
वो मरासिम बढ़ा के छोड़ गया,
दर्द होता है जाविदानी भी
वक़्त - बेवक़्त ही निकल आये
है अजब आँख का ये पानी भी,
वो सबब है मेरी उदासी का,
उससे है दोस्ती पुरानी भी,
जन्म देकर क़ज़ा तलक लायी,
ज़िन्दगी तेरी मेज़बानी भी,
आज फिर क़ैस को ही मरना पड़ा,
हो गयी ख़त्म ये कहानी भी। .. ...
मौलिक व् अप्रकाशित
Added by Anita Maurya on February 16, 2018 at 4:00pm — 4 Comments
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मुहब्बत के सफ़र की दास्ताँ है,
तू मेरी जान है मेरा जहाँ है,
मेरी मुस्कान होठों पर सजी और,
मेरा ग़म मेरी आँखों में निहां है,
शबे -ग़म हिज्र का तुझको सताये,
वो मेरी ज़िन्दगी में भी रवां है,
सफ़र में साथ मेरे तुम हो जानां,
मेरे कदमों के नीचे आसमां है,
लबों से कुछ नहीं कहता कभी वो,
बस उसके लम्स से सबकुछ अयाँ है..
मौलिक व् अप्रकाशित
Added by Anita Maurya on February 10, 2018 at 6:41pm — 4 Comments
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