चम्पई गंध बसे मन, स्वर्णिम हुआ प्रभात ।
कौन बसा प्राणों, प्रकृति, तन - मन के निर्वात ।।
धूप हुई मन फागुनी, रजनीगंधा रात ।
नद-नाले मचलते वन,गंगा तीर प्रपात।।
रजत रश्मियाँ हँसे नद, चाँद झील के गात ।
काँप जाय है चाँदनी, बरगद हृदय आत ।।
पोर- पोर टेसू हुआ, प्राणों बसे पलाश ।
गुलाबी रंग मन अहा, घर नीला आकाश ।।
रंग - बिरंगी छटा वन, सतरंगा आकाश ।
इन्द्रधनुष रच रहा, पत्ती फूल पलाश।।…
Added by Chetan Prakash on February 28, 2021 at 1:30pm — 4 Comments
यह दुनिया है, या जंगल
आजकल पेशोपेश में हूँ,
इन्सान और जानवर का
भेद मिटता जा रहा है
मौका पाते ही इन्सान
हैवान बन जाता है
अकेले किसी अबला को
कही बेसहारा पाकर
कुत्तों सा टूट पड़ता है,
नोच डालता है अस्मत
किसी बेवा की, किसी कुंवारी की
परम्परा की बेड़िया काटकर शैतान
उजालों के अन्तर्ध्यान होने पर
बोतल से जिन्न निकलकर
विराट राक्षस होकर सड़क पर
आ जाता है,
मानवों का भक्षण करने
सड़क पर आ जाता…
Added by Chetan Prakash on February 12, 2021 at 1:30pm — 4 Comments
राधे इस बार गाँव लौटा तो उसने देखा कि उसके दबंग पड़ौसी ने वाकई उसके दरवाजे पर अपना ताला जड़ दिया था ।
दर असल जयसिंह उसे कहता, " काम जब करते ही शहर में हो तो मकान हमें दे दो" कभी कहता, " मान जाओ, नहीं तो तुम्हारे जाते ही अपना ताला डाल दूंगा ।"
राधे को एकाएक कुछ सूझा, बच्चों और पत्नि को वहीं खड़े रहने को कहा, खुद भागा-भागा अपने दोस्त करीमू के पास जा पहुँँचा और बोला, " भाई करीमू, चल, चल जल्दी कर, बच्चे ठंडी रात मे घर से बाहर खड़े है, ताला खोल" ! चाबी मुझ से रास्ते मे खो गयी, इस…
Added by Chetan Prakash on February 5, 2021 at 5:00pm — 2 Comments
1212 1212 1212 1212
नज़र कहीं निशाना ताज़ हो रहा बवाल है
मदद नहीं किसान की गरीब घर सवाल है।
ज़मीं सदा इन्हीं की मौत है गरीब की यहाँ
वो मर रहा है भूख से जनाब याँ बवाल है।
कि आइये कभी गंगा तटों जमुन जहान में
वो ज़िन्दगी रहती कहाँ सनम कहाँ कवाल है।
लड़़ो मरो हक़ूक हित दिखाइये वो जख्म भी
जो माँगते थे मिल गया वो फिर कहाँ सवाल है ।
तुम्हारी ही बिरादरी तुम्हारे ही युवा जहाँ
जवान खौफ वो रहा…
Added by Chetan Prakash on February 4, 2021 at 6:30pm — 2 Comments
शेर की सवारी
और ज्यादा दिन
मौत है नजदीक तेरी
गिन रहा दिनमान है,
तोड़ देगा आन तेरी
यही उसका काम है
जिन्दगी देता अगर
मौत उसका फरमान है।
कहावते और मुहावरे
बुज़ुर्ग दे गये बावरे
सुनोगे उनको
गुनोगे सबको
जीवन सफल हो जाएगा
उद्धार होगा तुम्हारा
देश भी रह जाएगा
दोस्त,
कहानियाँ गर पढ़ो तो
तो पंचतंत्र की
जीवन अमृत हो जाएगा
तू अमर हो जाएगा
साथी,
परमार्थ भी हो जाएगा ।
धर्म हो या संस्कृति…
Added by Chetan Prakash on February 4, 2021 at 7:30am — 4 Comments
स्वार्थ रस्ता रोके बैठे है.....!
कई दिनों से सोन चिरैया
गुमसुम बैठी रहती है
देख रही चहुँ ओर कुहासा
भूखी घर बैठी रहती है
चौराहे पर बंद लगे हैं
स्वार्थ रस्ता रोके बैठे हैं !
कितने बच्चे कितने बूढ़े
कितनों के रोज़गार छिने हैं
लोग मर गए बिना दवा के
हार गए जीवन से हैं...
जंतर मंतर रोज रचे हैं
हँसते हँसते रो दे ते हैं !
तोड़ रहे कानून …
ContinueAdded by Chetan Prakash on February 2, 2021 at 2:02pm — 5 Comments
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