न देखी थी कभी सूरत मगर अपना बना बैठे
खता कुछ हो गई मुझसे तभी तुझको गवा बैठे
सजा कर माँग तेरी मैं तुझे अपना बनाया था
तुम्हारे साथ मिल कर मैं घरौंदा इक बसाया था
खिले जब फूल आँगन में हुआ पूरा सभी सपना
तुम्हारे बिन नहीं कोई जमाने में लगे अपना
मगर ये भूल थी मेरी जो तुम से दिल लगा बैठे
ख़ता कुछ हो गई मुझसे तभी तुझको गवा बैठे
न देखी थी कभी सूरत मगर अपना बना बैठे
बना कर सेज़ फूलों की उसे सबने सजाया था
उठा कर मैं जमीं से फिर…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on February 25, 2015 at 2:05pm — 6 Comments
बता दो याद अब उनकी मिटायें हम कहॉं जाकर
लिखा जो प्यार के किस्से सुनायें हम कहॉं जाकर
बजाकर जो कभी पायल जिगर के पास आती थी
नज़र उसको लगी मेरी बतायें हम कहाँ जाकर
न मैखाना शहर में है न उसका घर पता मुझको
जरा कोई बताये दिल लगायें हम कहाँ जाकर
न पीया जाम क्यों मैने अगर पूछो न तुम मुझसे…
Added by Akhand Gahmari on February 5, 2015 at 6:30pm — 8 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |