For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Featured Blog Posts – February 2019 Archive (5)

ग़ज़ल (पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि)

ग़ज़ल (पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि)

देके सर हम हो गए दुनिया से रुखसत दोस्तो l

तुम को करनी है वतन की अब हिफाज़त दोस्तो l

बाँध कर बैठो कफ़न अपने सरों पर हर घड़ी

सामने ना जाने कब आ जाए आफ़त दोस्तो l

उन दरिंदों का मिटा दें दुनिया से नामो निशां

मुल्क में फैला रहे हैं जो भी दहशत दोस्तो l

उसको मत देना मुआफ़ी मौत देना है उसे

जिसने पुलवामा में की है नीच हरकत दोस्तो l

हम को उनकी ईंट का पत्थर से देना…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on February 18, 2019 at 7:01pm — 12 Comments

नफरत को लोग शान से सर पर बिठा रहे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

२२१/२१२१/१२२/१२१२

जब से वफा जहाँन में मेरी छली गयी

आँखों में डूबने की वो आदत चली गयी।१।

नफरत को लोग शान से सर पर बिठा रहे

हर बार मुँह पे प्यार के कालिख मली गयी।२।

अब है चमन ये  राख  तो करते मलाल क्यों

जब हम कहा करे थे तो सुध क्यों न ली गयी।३।

रातों  के  दीप  भोर  को  देते  सभी  बुझा

देखी जो गत भलाई की आदत भली गयी।४।

माली को सिर्फ  शूल  से  सुनते दुलार ढब

जिससे चमन से रुठ के हर एक कली…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 4, 2019 at 12:05pm — 6 Comments

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ९३

२२१ २१२१ १२२१ २१२



अपनी गरज़ से आप भी मिलते रहे मुझे

ग़म है कि फिर भी आशना कहते रहे मुझे //१ 



दिल की किताब आपने सच में पढ़ी कहाँ

पन्नों की तर्ह सिर्फ़ पलटते रहे मुझे //२ 



मिस्ले ग़ुबारे दूदे तमन्ना मैं मिट गया

बुझती हुई शमा' सा वो तकते रहे मुझे //३ 



सौते ग़ज़ल से मेरी निकलती थी यूँ फ़ुगाँ

महफ़िल में सब ख़मोशी से सुनते रहे मुझे…

Continue

Added by राज़ नवादवी on February 4, 2019 at 10:13am — 6 Comments

ग़ज़ल-किनारा हूँ तेरा तू इक नदी है

अरकान-1222  1222  122

किनारा हूँ तेरा तू इक नदी है

बसी तुझ में ही मेरी ज़िंदगी है।।

हमारे गाँव की यह बानगी है

पड़ोसी मुर्तुज़ा का राम जी है।।

ख़यालों का अजब है हाल यारो

गमों के साथ ही रहती ख़ुशी है।।

घटा गम की डराए तो न डरना

अँधेरे में ही दिखती चाँदनी है।।

मुकम्मल कौन है दुनिया में यारो

यहाँ हर शख़्स में कोई कमी है।।

बनाता है महल वो दूसरों का

मगर खुद की टपकती झोपड़ी…

Continue

Added by नाथ सोनांचली on February 4, 2019 at 7:00am — 9 Comments

ग़ज़ल (मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर)

ग़ज़ल (मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर)

(फाइ ला तुन _फाइ ला तुन _फाइ ला तुन _फाइ लु न)

मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर l

कीजिए गा हुस्न वालों से मुहब्बत देख कर l

मुझको आसारे मुसीबत का गुमां होने लगा

यक बयक उनका करम उनकी इनायत देख कर l

कुछ भी हो सकता है महफ़िल में संभल कर बैठिए

आ रहा हूँ उनकी आँखों में क़यामत देख कर l

देखता है कौन इज्ज़त और सीरत आज कल

जोड़ते हैं लोग रिश्ते सिर्फ़ दौलत देख…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2019 at 7:43pm — 8 Comments

Featured Monthly Archives

2025

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service