2212 - 1212 - 2212 - 12
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मुश्किल सहीह ये फिर भी है महबूब ज़िन्दगी
रब का हसीन तुहफ़ा है क्या ख़ूब ज़िन्दगी
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आजिज़ हैं ज़िन्दगी से जो वो भी मुरीद हैं
तालिब सभी हैं इसके है मतलूब ज़िन्दगी
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हर लम्हा शादमाँ है तेरे दम से दिल मेरा
जब से हुई है तुझसे ये मन्सूब ज़िन्दगी
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जिसने नज़र उठा के भी देखा नहीं मुझे
उस पर हुई है देखिए मरग़ूब ज़िन्दगी
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लोगों के दिल…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 31, 2021 at 9:22am — 4 Comments
122 - 122 - 122 - 122
हमें तुम से कोई शिकायत नहीं है
तुम्हें भी तो हम से महब्बत नहीं है
जो शिकवा था हमसे हमें ही बताते
यूँ बदनाम करना शराफ़त नहीं है
किया जो भरोसा तो कर लो यक़ीं भी
तुम्हारे सिवा कोई चाहत नहीं है
ख़फ़ा होके हमसे जुदा होने वाले
ज़रा कह दे हमसे अदावत नहीं है
करोगे वफ़ा जो वफ़ा ही मिलेगी
महब्बत की ऐसी रिवायत नहीं है
तुम्हें दिल के बदले ये जाँ हमने…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 28, 2021 at 12:10pm — 2 Comments
2122- 2122- 2122- 212
तू वतन की आबरू है तू वतन की शान है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत तुझपे दिल क़ुर्बान है
तेरी जुर्रत से हुआ नाकाम दुश्मन हिन्द का
नाज़ करता आज तुझपे सारा हिन्दुस्तान है
हैं मुबारक तेरी गलियांँ, गाँव तेरा, घर तिरा
मरहबा माँ बाप हैं वो जिनकी तू संतान है
ईद हो या हो दिवाली सरहदों पर ही रहा
मेरी धड़कन मेरी साँसों पर तेरा अहसान है
मुल्क पर होते फ़िदा जो वो कभी मरते…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 26, 2021 at 3:45pm — 8 Comments
2212 - 1221 - 2212 - 12
जो दर्द रूह का है ज़बाँ पर न आयेगा
शिकवा भी कोई सुनने यहाँ पर न आयेगा
उसका पयाम ये है कि आयेगा 'दफ़्न' पर
ली थी क़सम जो उसने यहाँ पर न आयेगा
वो साथ मेरे यूँ तो रहा है तमाम उम्र
सुनता है मेरी आह-ओ-फ़ुग़ाँ, पर न आयेगा
जलकर ये ख़ाक़ हो भी चुका है वजूद अब
तुमको नज़र ज़रा भी धुआँ पर न आयेगा
नज़रों के रास्ते जो उतर दिल में करले घर
अब तीर ऐसा कोई कमाँ पर न…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 13, 2021 at 12:09am — 2 Comments
2122 - 1122 - 22/112
इक जहाँ और बसाओ तो चलें
फिर मुझे अपना बनाओ तो चलें
उम्र भर साथ निबाहो तो चलें
फ़ासिले दिल के मिटाओ तो चलें
चन्द क़दमों की रिफ़ाक़त क्या है
हर क़दम साथ बढ़ाओ तो चलें
ज़िन्दगी हम ने गवाँ दी यूँ ही
हासिल-ए-इश्क़ बताओ तो चलें
जितने पर्दे हैं उठा दो न सनम
राज़ उल्फ़त के सुनाओ तो चलें
ज़िन्दगी ! ऐसी भी क्या उजलत…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 12, 2021 at 12:13am — 4 Comments
221 - 1222 - 221 - 1222
हम जिनकी मुहब्बत में दिन रात तड़पते हैं
होते ही ख़फ़ा हमसे दुश्मन से जा मिलते हैं
गुलशन में तेरे हर दिन नए ग़ुंचे चटकते हैं
गिर जाते हैं कुछ पत्ते कुछ फूल महकते हैं
माली है तू हम सबका हम भी हैं तेरी बुलबुल
हमको ये शरफ़ हासिल हम यूँ ही चहकते हैं
आँखों में मुहब्बत भर देखा जो हमें तुम ने
छाया है सुरूर ऐसा हम ख़ुद ही बहकते हैं
कुछ ऐसी तपिश तेरे पैकर की हुई…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 11, 2021 at 3:53pm — 8 Comments
122-122-122-122
निगाहों-निगाहों में क्या माजरा है
न उनको ख़बर है न हमको पता है
न तुमने कहा कुछ न मैंने सुना है
निगाहों से ही सब बयाँ हो रहा है
ख़ुमारी फ़ज़ा में ये छाई है कैसी
ख़िरामा ख़िरामा नशा छा रहा है
मुहब्बत की ऐसी हवा चल पड़ी ये
मुअत्तर महब्बत में सब हो गया है
मिलाकर निगाहें तेरा मुस्कुराना
मेरे दिल पे जानाँ ग़ज़ब ढा गया है
निगाहें …
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 4, 2021 at 10:28pm — 2 Comments
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